गायत्री मंत्र के जाप से जीवन में आ सकता है परिर्वतन : डा. योगार्थी

दयानंद महाविद्यालय में महात्मा आनंद स्वामी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर एक व्याख्यन।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 11:18 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 11:18 PM (IST)
गायत्री मंत्र के जाप से जीवन में आ सकता है परिर्वतन : डा. योगार्थी
गायत्री मंत्र के जाप से जीवन में आ सकता है परिर्वतन : डा. योगार्थी

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- दयानंद महाविद्यालय में महात्मा आनंद स्वामी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन

जागरण संवाददाता, हिसार : दयानंद महाविद्यालय में वीरवार को आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि उपसभा और आर्य युवा समाज हरियाणा के तत्वाधान में महात्मा आनंद स्वामी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। 16 से 24 अक्टूबर, 2021 तक का सप्ताह विभिन्न डीएवी संस्थाओं में अमृतोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में वीरवार को महाविद्यालय में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्थानीय दयानंद ब्राह्म महाविद्यालय के प्राचार्य डा. प्रमोद योगार्थी ने महात्मा आनंद स्वामी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर विचार रखे। समारोह के आरंभ में महाविद्यालय के प्राध्यापक डा. महेंद्र सिंह ने मुख्य वक्ता का परिचय करवाते हुए बताया कि दयानंद ब्राह्म महाविद्यालय एक ऐसी संस्था है जिसमें आर्य समाज के सिद्धांतों और वेद प्रचार के लिए प्रचारक तैयार किए जाते हैं। मुख्य वक्ता डा. प्रमोद योगार्थी ने कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि वे आज एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने सब कुछ होते हुए अपने भौतिक सुखों को त्याग कर एक सादगी भरा जीवन जिया। महात्मा आनन्द स्वामी ने सरल भाषा में आर्यसमाज पर 22 पुस्तकें लिखीं जिन्हें पढ़ने के लिए बहुत अधिक संस्कृत या हिदी का ज्ञान जरूरी नहीं है, अपितु थोड़ा सा पढ़ा लिखा व्यक्ति भी उन्हें सुगमता से पढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि महात्मा आनंद स्वामी ने गायत्री महामंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए दो पुस्तकें लिखी और बताया कि किस तरह गायत्री मंत्र का जाप करने से उनकी बुद्धि प्रखर हो गई थी और वह इस मंत्र के जाप से प्रभाव से वह कार्य भी ठीक करने लगे जिन्हें वह कभी ठीक नहीं कर पाते थे। उन्होंने गायत्री महामंत्र का हिन्दी अनुवाद किया और कहा कि गायत्री मंत्र केवल मात्र एक मंत्र ही नहीं है अपितु इसके जाप मात्र से ही जीवन में परिवर्तन आ सकता है। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती के सानिध्य में रह कर चितन मनन किया और महात्मा हंस राज के साथ रह कर उन्होंने आर्य समाज का प्रचार-प्रसार किया।

आध्यात्म और चितन के बिना जीवन अधूरा : डा. विक्रमजीत

महाविद्यालय के प्राचार्य डा. विक्रमजीत सिंह ने कहा कि उनके विचार आज के समय में अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। अगर हम उनके विचारों का अनुसरण करेंगे तो हम एक नए जीवन का निर्माण कर सकते हैं। आध्यात्म और चितन के बिना जीवन अधूरा है। हमें अपने जीवन में अध्यात्म को अपना कर अपने जीवन में भौतिकता का और चितन-मनन का संतुलन बना कर रखना चाहिए। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक और गैरशिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे।

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