सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ विज्ञानियों ने बताया- सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने भेड़ को भी जंगली से बनाया था पालतू

सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ के विज्ञानियों ने सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा भैंस को घरेलू बनाने का दावा किया था अब विज्ञानी भेड़ को लेकर भी कुछ इसी प्रकार का दावा कर रहे हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ में विज्ञानी डा. सतीश 2013 से इस विषय पर शोध कर रहे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 04:40 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 04:40 PM (IST)
सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ विज्ञानियों ने बताया- सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने भेड़ को भी जंगली से बनाया था पालतू
सिंधु घाटी सभ्यता के वाशिंदों ने ए टाइप भेड़ों का जंगली से घरेलूकरण भारत में ही किया था।

वैभव शर्मा, हिसार। भारत की सिंघु घाटी सभ्यता मैसोपोटामिया की सभ्यता से बढ़ी नहीं मगर उसके समतुल्य जरूर है। इस सभ्यता के विकसित होने के प्रमाण चौकाने वाले साबित हो रहे हैं। पूर्व में सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ के विज्ञानियों ने सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा भैंस को घरेलू बनाने का दावा किया था अब विज्ञानी भेड़ को लेकर भी कुछ इसी प्रकार का दावा कर रहे हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ में विज्ञानी डा. सतीश वर्ष 2013 से इस विषय पर शोध कर रहे हैं। अब उनके विद्यार्थी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी केरल में असिस्टेंट साइंटिस्ट नागराजम ने इस शोध को आगे बढ़ाया है। जिसमें बताया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के वाशिंदों ने ए टाइप भेड़ों का जंगली से घरेलूकरण भारत में ही किया था।

ऐसे शुरू हुआ शोध

विज्ञानी डा. सतीश बताते हैं कि इसमें नार्थ वेस्ट रीजन (हरियाणा, राजस्थान) में पाई जाने वाली भेड़ें अधिक हैं। शोध में आनुवांशिक साक्ष्यों का आंकलन किया गया। जिसमें भेड़ों के माइटोकान्ड्रियल डीएनए के जरिए मातृ वंश की उपस्थिति का पता चलता है। इस शोध में भारत की विभिन्न 12 नस्लों की 330 भेड़ों के माइटोकान्ड्रियल डीएनए अनुक्रमों का विश्लेषण किया है।

समुद्र के रास्ते भी आई कुछ भेड़ें

विज्ञानी डा. सतीश बताते हैं कि दोनों ही शोधों में यह भी पता चला कि भारत में एक मूल की भेड़ों की तादात अधिक है। करीब सात हजार साल पहले जब भेड़ों को जंगली से घरेलू उपयोग के लिए बनाया गया उन्ही के जीन देशभर में पाई जाने वाले भेड़ों में मिले। जबकि उदयपुर और वेस्टर्न कर्नाटक में बी टाइप की भेड़ें मिली। उनके फुट प्रिंट देखने पर पता चलता है कि यह भेड़ें समुद्री मार्ग से भारत में आई हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के समय समुद्री मार्गों से काफी व्यापार होता था ऐसे में तभी संभव है कि बी टाइप भेड़ें समुद्री रास्तों से आई हों। इसमें भी अरब सागर से आने की संभावना अधिक जताई गई है।

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