किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए फिर से युवाओं को साथ लाने का कर रहे आह्वान
आंदोलन आठ माह पूरे कर चुका है। 26 जनवरी के बाद से ही आंदोलन की धार कुंद होती हा रही है। यहां पर आंदोलनकारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। हालांकि आंदोलनकारियों का जज्बा अब भी बरकरार है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन आठ माह पूरे कर चुका है। 26 जनवरी के बाद से ही आंदोलन की धार कुंद होती हा रही है। यहां पर आंदोलनकारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। हालांकि आंदोलनकारियों का जज्बा अब भी बरकरार है। अब आंदोलन में पहले की तरह कार्यक्रम भी कम हो गए हैं तथा युवाओं की संख्या तो घटकर नगण्य ही हो गई है। ये किसान नेता भी मान रहे हैं और वो लगातार मंच से अपने संबोधनों में किसानों की संख्या बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अब कुछ दिनों से आंदोलन में लगातार कम हो रही युवाओं की संख्या को बढ़ाने की अपील की जा रही है।
पंजाब से हर रोज आने वाली ट्रेनों से किसानों के आने-जाने का सिलसिला चल रहा है। किसान अब पहले की तरह पंजाब से नहीं आ रहे हैं। आंदोलन के पहले वाले दिनों में ट्रेन जब पंजाब से आकर यहां रुकती थी तो उस समय स्टेशन पर काफी भीड़ हो जाती थी। अब वह भीड़ काफी कम हो गई है। अब 100 से भी कम किसान हर रोज यहां आ रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक आंदोलन में युवाओं की भागीदारी ज्यादा नहीं होगी, तब तक आंदोलन की धार तेज नहीं होगी। ऐसे में ग्रामीणों को अपने साथ-साथ युवाओं को भी यहां लाना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की प्रांतीय नेता हरिंदर कौर बिंदु बताती हैं कि युवा पीढ़ी जब किसी के साथ होती है तो उस काम में सफलता जरूर मिलती है। इसलिए हम भी आंदोलन में सफलता हासिल करने के लिए युवाओं को लगातार जोड़ रहे हैं। यह आंदोलन उनके भविष्य के लिए ही चलाया जा रहा है। उन्होंने युवाओं से एक साथ आंदोलन में भाग लेने का आग्रह किया है।