किसान आंदोलन की वजह से आधे से भी कम रकबे में बोई गोभी, अब भाव अच्छा मिलने से किसानों में खुशी

गांव झाड़ौदा कलां व दिचाऊ कलां गोभी उत्पादन में कई सालों से काफी अग्रणी हैं। यहां पर सीजन में 80 फीसद रकबे पर गोभी की खेती होती है। मगर किसान आंदोलन के कारण पिछले साल हजारों एकड़ में खड़ी गोभी की फसल बिक्री न होने से खराब हो गई थी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 04:54 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 08:08 AM (IST)
किसान आंदोलन की वजह से आधे से भी कम रकबे में बोई गोभी, अब भाव अच्छा मिलने से किसानों में खुशी
पिछले साले झाड़ौदा बार्डर बंद होने से हजारों एकड़ में बोई गई गोभी की फसल हो गई थी खराब

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: हरियाणा के बहादुरगढ़ से सटे दिल्ली के गांव झाड़ौदा कलां व दिचाऊ कलां गोभी उत्पादन में कई सालों से काफी अग्रणी हैं। यहां पर सीजन में 80 फीसद रकबे पर गोभी की खेती होती है। मगर किसान आंदोलन के कारण पिछले साल हजारों एकड़ में खड़ी गोभी की फसल समय पर बिक्री न होने की वजह से खराब हो गई थी। साथ ही खेतों से वाहनों के आवागमन के कारण गोभी के फूल पर मिट्टी जमा होने से वह बिक्री लायक भी नहीं रही थी। इस कारण इन दोनों गांवों में किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ था। झाड़ौदा के किसानों ने बार्डर खुलवाने के लिए संघर्ष भी किया था, जिसके चलते झाड़ौदा बार्डर खोला गया था। मगर किसान आंदोलन इस साल भी अब तक खत्म नहीं हुआ है।

किसान आंदोलन के डर से ही इस बार झाड़ौदा कलां व दिचाऊ कलां के किसानों ने काफी कम रकबे पर गोभी की फसल लगाई। हालांकि इस बार बार्डर खुला होने और गोभी की फसल की बुआई कम रही। ऐसे में मांग अधिक और फसल कम होने की वजह से भाव भी अच्छे मिले। करीब 20 दिन पहले गोभी 55 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। 10 दिन पहले 35 से 40 तो अब भी 18 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। गोभी की जगह किसानों ने सरसों व अन्य फसलों को अहमियत दी है।

अब कुछ किसान गोभी की पछेती फसल की बुआई कर रहे हैं लेकिन उस समय भाव पिटने की संभावना ज्यादा हो गई है। दरअसल, गांव झाड़ौदा में ढाई से तीन हजार एकड़ पर तो दिचाऊ कलां में एक हजार से 1200 एकड़ पर गोभी की फसल लगाई जाती रही है। मगर इस बार आधे से भी कम क्षेत्रफल पर गोभी की फसल लगाई गई है।

दोनों गांवों के किसानों की कहानी..उन्हीं की जुबानी....

आंदोलन के कारण इस बार गोभी के स्थान पर लगाई सरसों: बल्लू पंडित

झाड़ौदा कलां के बल्लू पंडित ने बताया कि मैं हर साल दस एकड़ में गोभी लगाता था। पिछले साल किसान आंदोलन के कारण लाखों रुपये का घाटा हो गया। समय पर बिक्री न होने से खड़ी फसल खराब हो गई। ऐसे में हमने इस बार गोभी की बजाय 10 एकड़ में सरसों लगा दी। झाड़ौदा के ही मास्टर बलवान सिंह डागर ने भी पिछले साल के डर के कारण गोभी नही बोई। भाव नहीं था तो सरसों की बुआई कर दी। अब गोभी का भाव अच्छा है ताे इनको बहुत दुख हुआ है कि गोभी नहीं लगाई। इस तरह के किसानों की संख्या सैकड़ों में है। झाड़ौदा कलां के नवीन डागर ने बताया कि उसने दो एकड़ में ही गोभी की फसल लगाई थी।

गोभी की बिक्री अच्छी हुई है। कई एकड़ गोभी की फसल आगे भी तैयार है। दिचाऊ कलां के रामधन शौकीन ने बताया पहले गांव में 1200 एकड़ के करीब गोभी की बुआई होती थी। अब 600 या 700 एकड़ में ही गोभी की फसल है। इस बार 18 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोभी बिक रही है। अबकी बार अच्छी फसल हुई गोभी की। दिचाऊ कलां के ही तरुण शौकीन ने बताया इस बार गोभी का रेट अच्छा मिला है। पहले 55 से 60 तो कुछ दिन पूर्व 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोभी बिकी थी। अब 18 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोभी बिक रही है। पिछले साल गोभी का रेट कम था। इस बार रेट ज्यादा है तो गोभी कम किसानों ने लगाई है।

chat bot
आपका साथी