Brick Kiln industry: हरियाणा में संकट में ईंट-भट्ठा उद्योग, एनजीटी के आदेश ने बढ़ाई मुसीबत

एनजीटी ने कुल ईंट-भट्ठों में झज्जर में 282 ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दी हुई हैं। अब सरकार एक नया फरमान ला रही है। जिसके तहत जिले के एक तिहाई ईंट भट्ठे ही चल पाएंगे। ऐसे में जिले के केवल 127 ईंट भट्ठों को ही चलाने की अनुमति मिलेगी।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 02:46 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 02:46 PM (IST)
Brick Kiln industry: हरियाणा में संकट में ईंट-भट्ठा उद्योग, एनजीटी के आदेश ने बढ़ाई मुसीबत
झज्जर में 282 ईंट-भट्ठों को चलाने की अनुमति।

जागरण संवाददाता, झज्जर। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले झज्जर जिला में इन दिनों वैसे ही ईंट-भट्ठों की चिमनी शांत है। कारण कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के आदेश पर 1 मार्च से 30 जून तक क्षेत्र में ईंट भट्ठे चलाए जाते हैं। इन दिनों में तैयार होने वाले स्टाक का कारोबार पूरे साल भर में होता है। लेकिन, मौजूदा समय के हालात को देखें तो भट्ठा स्वामियों के लिए बढ़ती हुई महंगाई और एक समय में एक तिहाई भट्ठें चलने के आदेशों ने उनकी हर स्तर पर परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में सरकार के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखने और आने वाले समय के लिए रणनीति तैयार करने की बात को केंद्र में रखते हुए मंगलवार और रविवार को भट्ठा स्वामियों की बैठक बुलाई गई हैं। जिसमें विस्तार से चर्चा करते हुए समाधान निकालने का प्रयास होगा।

सीजन के लिए हो रही तैयारी, कर रहे अग्रिम बुकिंग

तय समय पर चलने वाले ईंट-भट्ठों के लिए भट्ठा मालिक ईंट पथवाने, पकाई के लिए कोयले आदि का बंदोबस्त करने सहित अन्य सभी तैयारियां पूरी करते हैं। ताकि, सीजन के समय पर उन्हें कोई परेशानी ना हो। फिलहाल ईंट पथाई के लिए मजदूर ईंट भट्ठों पर पहुंचने लगे हैं। ताकि, मार्च माह तक पथाई का काम पूरा किया जा सके।

इधर, कोयला की बढ़ती हुई कीमत ने भी भट्ठा स्वामियों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। जबकि, नए आदेश के बाद आगामी वर्ष में ईंट भट्ठे चलने के संशय को लेकर भी भट्ठा मालिक चिंतित है। जिसका हल निकालने के लिए ही विचार विमर्श हो रहा है। इधर, कारोबार के प्रभावित होने से ईंटों का दाम भी खूब बढ़ने की संभावनाएं प्रतीत होती है। जिसका सीधा असर आमजन की जेब पर ही पड़ने वाता है।

90 फीसद ईंट भट्ठे कोयले से चलते है

आंकड़ों की दृष्टि बात करें तो फिलहाल 387 ईंट भट्ठे हैं। जिनमें से 90 फीसद ईंट भट्ठे कोयले से चलते हैं। पिछले वर्ष 7200-7400 रुपये प्रति टन कोयला ईंट भट्ठों को मिलता था। जबकि, अंत तक कोयले की कीमत 11400 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई। इस बार 24000-25000 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला मिल रहा है। ऐसा होने से ईंट बनाने में आने वाली लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है। जिसका असर ईंटों की कीमत पर भी पड़ेगा। इन दिनों में में ईंट 5000-6000 रुपये प्रति हजार के हिसाब से मिल रही हैं। अगर, इन दिनों में ईंट भट्ठों पर खर्च बढ़ेगा तो ईंटों की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी।

जिला में 282 ईंट-भट्ठों को चलाने की अनुमति

बता दें कि एनजीटी ने कुल ईंट-भट्ठों में जिला में 282 ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दी हुई हैं। अब सरकार एक नया फरमान ला रही है। जिसके तहत जिले के एक तिहाई ईंट भट्ठे ही चल पाएंगे। ऐसे में जिले के केवल 127 ईंट भट्ठों को ही चलाने की अनुमति मिलेगी, जबकि एनजीटी 282 ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दे रहा है। अगर यह नियम लागू हुआ तो ईंट भट्ठा उद्योग पूरी तरह से प्रभावित होगा। तीन वर्ष में एक बार ही ईंट भट्ठा चलाने का मौका मिलेगा। जबकि, अन्य दो वर्षों में ईंट भट्ठा बंद रखना होगा। इसलिए भट्ठा मालिकों के समक्ष ईंट भट्ठे बंद करने तक की नौबत आ सकती है। ऊपर से बढ़ती कोयले की कीमत। इन समस्याओं को लेकर 26 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को भट्ठा एसोसिएशन द्वारा ईंट भट्ठा स्वामियों की बैठक हो रही है।

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