किताबों से मोहब्बत ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी आयोजित

जागरण संवाददाता हिसार विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में ग्रीन लिटरेचर साहित्यिक मंच की तरफ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 11:07 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:07 PM (IST)
किताबों से मोहब्बत ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी आयोजित
किताबों से मोहब्बत ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी आयोजित

जागरण संवाददाता, हिसार : विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में ग्रीन लिटरेचर साहित्यिक मंच की तरफ से ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। किताबों से मोहब्बत इस विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में सभी ने अपने जीवन में पुस्तकों की महत्ता को काव्य के प्रदर्शित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर के कवि किशोर कुमार धनावत ने की। गोष्ठी का संचालन ग्रीन लिटेरचर साहित्यिक मंच की संरक्षिका एडवोकेट नेहा धवन ने की। होशियारपुर पंजाब से डा. प्रिया सूफी ने किताबों से नाता जोड़ते हुए कहा, एकांत के सुनसान से घबरा, तुमसे नाता जोड़ा। शब्दों से बातें की, कहानियों में संसार पा लिया। फरीदाबाद से विनोद ढींगरा राजन ने अपने भावों को कुछ यूं समेटा, पढ़ते-पढ़ते खो जाते थे सपनों की उस दुनिया में, कभी विक्रम बनते कभी बेताल की उस दुनिया में। डा. गीतू धवन भुटानी ने अपनी रचना में ये कहते हुए शब्द बयां किए, किताबों से इश्क कहां आसां होता है।

ये इश़्क जिस्मानी नहीं रूहानी होता है। किशोर कुमार धनावत ने रचना पढ़ी, पुस्तक होती अभिन्न मित्र, हर पन्ने में फैला होता इत्र। एडवोकेट नेहा धवन ने कहा, किताबों की डोर को थाम कर जो हैं चले, अंधेरे समय में वो फिर कभी नहीं डरे। दरभंगा बिहार से कवयित्री रितु प्रज्ञा ने अपनी कविता में पुस्तकों को अपनी सहचरी मानते हुए कहा, सहचरी सबका मन लगाती, बिन माया वो कसम निभाती। हिसार से शशि सरदाना ने कुछ ये कहा, मुझे पढ़ो तुम कहती पुस्तक, नेक बनो तुम कहती पुस्तक। रोहतक से सुभाष अरोड़ा ने अपने शब्दों में यूं कहते हुए ़िकताबों से रिश्ता कायम किया। भले ही किताबें पुरानी पड़ी हैं, इन्हीं से ही प्यारी सी यादें जुड़ी हैं। जौनपुर यूपी से सागर सिंह आचार्य मोही ने कहा, पुस्तक पढ़ना जिसे ना आया, खुद समाज से वंचित पाया।

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