कोरोना काल में पलायन कर रहे ये परिंदे, इनका भी कीजिये ध्यान, संख्‍या लगातार हो रही कम

प्रकृति प्रेमियों को पक्षियों का पलायन सोचने पर मजबूर कर रहा है। इस दौर में एक दूसरे के काम आने को हर कोई आगे आ रहा है तो ऐसे में इन बेजुबान परिंदों का ध्यान करना भी जरूरी है। परिंदों की संख्या 60 से 70 फीसदी कम हो गई है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 03:57 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 03:57 PM (IST)
कोरोना काल में पलायन कर रहे ये परिंदे, इनका भी कीजिये ध्यान, संख्‍या लगातार हो रही कम
पक्षियों की संख्‍या लगातार कम होती जा रही है जो कि चिंता का विषय है

भिवानी [सुरेश मेहरा] कोरोना काल में परिंदे कहां पलायन कर रहे हैं। प्रकृति प्रेमियों को उनका यह पलायन सोचने पर मजबूर कर रहा है। इस दौर में एक दूसरे के काम आने को हर कोई आगे आ रहा है तो ऐसे में इन बेजुबान परिंदों का ध्यान करना भी हमारे लिए जरूरी है। पिछले दो माह में क्षेत्र से इन परिंदों की संख्या 60 से 70 फीसदी कम हो गई है। इन बेजुबान पक्षियों की सेवा में वर्षों से जुड़े लोगों का तो यही मानना है। बतौर उनके पिछले कुछ समय से कबूतर, मोर, चिड़िया आदि बहुत कम होते जा रहे हैं। इसके पीछे कारण कोरोना है या कुछ और पर सच तो यही है कि मनुष्य के साथी ये बेजुबान पक्षी अब लुप्त प्राय: होने लगे हैं।

वर्षों से डाल रही दाना पानी, अब कम नजर आने लगे कबूतर

मैं और मेरे पति वर्षों से अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना डालते आ रहे हैं। हमने घर की छत पर पानी के सकोरे रख रखे हैं। सुबह चाय नाश्ता करने से पहले पक्षियों के लिए दाना पानी करते हैं। यह हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। पिछले दो तीन महीनों से देख रहे हैं कबूतरों की संख्या बहुत कम हो गई है। हमारी छत पर सुबह शाम कबूतर, तोते, मोर और चिड़िया आदि इतने ज्यादा आते थे कि देख कर मन खुश हो जाता था। अब इनकी घटती संख्या चिंता पैदा कर रही है। इस बारे में सरकार को पता कराना चाहिए कि कबूतर और दूसरे पक्षी कहां चले गए। किसी बीमारी की वजह से इनकी जान तो नहीं चली गई। कोरोना काल के इस दौर में हम सबको इनकी परवरिश के लिए भी ध्यान रखना चाहिए।

कमलेश शर्मा, गांव : लोहानी

पता नहीं पक्षियो को क्या हो गया, लगातार घट रही है इनकी संख्या

पहले मेरे पिता और अब मेरी यह दिनचर्या में शुमार है। सुबह उठते ही अपने घर की छत पर पक्षियाें के लिए अनाज डालता हूं। उनके लिए छत पर रखे सकोरों में पानी भरता हूं। इसके बाद गांव के मंदिर में जाता हूं और बेजुबानों के लिए दाने डालता हूं। इसके अलावा कुत्तों के लिए बिस्कुट आदि डालता हूं। मेरे पिता हर किसी को यह समझाया करते थे कि दो मूठ्ठी दाने जिनावरों को जरूर डाला करो बहुत पुण्य का कार्य होता है। उनकी बताई राह पर हम भी चल रहे हैं। पिछले कुछ समय से चिंता सता रही है कि पक्षियों विशेष कर कबूतरों की संख्या घट रही है। इन पर कोरोना का असर है या ये मोबाइल टावर आदि का प्रभाव है समझ नहीं आ रहा है। पहले के मुकाबले अब तो चौथे हिस्से के पक्षी भी दाना पानी लेने नहीं आ रहे। हमेें इनको बचाने के लिए ठोस पहल करनी होगी।

ओमप्रकाश शर्मा, पूर्व सरपंच गांव केहरपुरा

कोरोना काल में पक्षियों का पलायन तो नहीं हो रहा

कोरोना संक्रमण का दौर है। सब अपनी जान बचाने के लिए सावधानी रख रहे हैं। पक्षियों को लेकर चिंता सता रही है। मैं पिछले 20-22 साल से नियमित रूप से पक्षियों के लिए दाना डालता आ रहा हूं। पहले शहर के लघु सचिवालय प्रांगण में डाला कर करता था। इसके बाद मुख्य जलघर चिड़ियाघर रोड पर डालता रहा। अब मिनी बाइपास ढाणा रोड पर मकान ले लिया है। ऐसे में यहां आस पास पक्षियों के लिए अनाज डाल रहा हूं। गर्मी में उनके लिए पानी का प्रबंध भी कर रहा हूं। अभी दो तीन महीनों से देख रहा हूं चिड़िया, कबूतर और माेर पहले की अपेक्षा कम नजर आने लगे हैं। सबसे कम कबूतराें की संख्या दिख रही है। इसके पीछे कारण क्या है इसके बारे में तो सरकार ही पता कर सकती है।

महेश कुमार, साइकिल रिपेयरिंग वर्क्स।

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