हरियाणा के सैनिकों के कायल थे सीडीएस बिपिन रावत, नीरज चोपड़ा की जीत पर थपथपाई थी पीठ
बिपिन रावत हरियाणा के जवानों को खेलों की वजह से पसंद करते थे। हरियाणा के जवानों की खेलों में काफी रुचि है। जवानों को भी खेलों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। हाल ही में सेना में नियुक्त नीरज चोपड़ा व अन्य जवान ने खेल में मेडल जीता था।
कुलदीप जांगड़ा, हिसार। हरियाणा सैनिकों के सीडीएस बिपिन रावत कायल थे। हरियाणा के जवानों को खेलों की वजह से पसंद करते थे। हरियाणा के जवानों की खेलों में काफी रुचि है। जवानों को भी खेलों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। हाल ही में सेना में नियुक्त नीरज चोपड़ा व अन्य जवान ने खेल में मेडल जीता था। नीरज चोपड़ा की गोल्ड जीतने पर काफी तारीफ की थी। वैसे वे हर जवान को चाहते थे और वह उनको हमेशा ही एक बात कहते थे। निशान नमक निशान। इसका अर्थ है कि देश का नमक खाया है।
देश का निशान, देश का झंडा। इसके लिए आपको अपना कर्तव्य निभाते हुए बलिदान हो जाना है। मगर देश से कभी गद्दारी नहीं करना। वे अक्सर हरियाणा आते रहते थे और पूर्व थल सेना के अध्यक्ष हरियाणा के झज्जन निवासी दलबीर सुहाग को अपने गुरु की तरह मानते थे। उनके साथ रहे और कई बार काम कर चुके थे। सीडीएस बिपिन रावत खुद गोरखा रेजिमेंट से थे।
राज्यसभा सदस्य डीपी वत्स ने बताया बिपिन रावत मेरा जूनियर थे । सोमवार को ही मैं संसद में मिला था और यह मेरी आखिरी मुलाकात थी। सर जनरल रावत को मेरा आखिरी सलाम। हम दोनों डिफेंस से थे। मैं डिफेंस कमेटी का मेंबर हूं और वे डिफेंस का सीडीएस थे। हमारी अक्सर बैठक होती रहती थी।
आतंकवाद का सफाया करने में थे विशेषज्ञ
डीपी वत्स ने बताया कि बिपिन रावत आतंकवाद का सफाया करने में विशेषज्ञ थे, क्योंकि वे खुद 1978 में कमीशन, कारगिल जैसी लड़ाइयां भी लड़ चुके थे। 19वां डिविजन बार फार्मूला, ब्रिगेड, राष्ट्रीय राइफल में रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक भी उन्हीं के समय में हुई। आधुनिकीकरण में समन्वय का विशेषज्ञ थे।
खुशी मिजाज के थे
बिपिन रावत खुशी मिजाज के थे और बड़ी सोच रखते थे। वह चार पीढ़ी का सैनिक थे। उनके पिता लेफ्टिनेंट, दादा व परदादा भी सेना में रहे हैं। बात जब देश की होती थी वो बेहद आक्रामक मूड में होते थे। देश को लेकर हर वक्त उनके दिमाग में नई योजना चलती रहती थी। उनके रहते कई बड़े आपरेशन इंडियन आर्मी ने किए।