दूध को लेकर हुआ बड़ा शोध, 200 रुपये में हो सकेगी मैग्‍नीशियम तत्‍व की जांच, जानें क्‍या है तकनीक

दूध में प्रोटीन मैग्नीशियम कैल्शियम विटामिन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। बाकी तत्‍वों पर तो लंबे समय से रिसर्च चल रही है मगर (लुवास) के डा. अनिरबन गुहा ने दूध में मौजूद पोषक तत्व मैग्नीशियम पर रिसर्च की है। आठ वर्ष पहले खोजी इस तकनीक को अब पेटेंट मिला

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 03:18 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 03:18 PM (IST)
दूध को लेकर हुआ बड़ा शोध, 200 रुपये में हो सकेगी मैग्‍नीशियम तत्‍व की जांच, जानें क्‍या है तकनीक
लुवास के पूर्व छात्र व वर्तमान मे पशुपालन एवं मत्स्य मंत्रालय में लाइवस्टॉक अफसर डॉ अनिरबन गुहा ने शोध किया

हिसार [वैभव शर्मा] दूध पीने से शरीर में ताकत आती है और दूध में प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन जैसे कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। बाकी तत्‍वों पर तो लंबे समय से रिसर्च चल रही है, मगर लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वेटरनरी बॉयोकेमिस्ट्री के पूर्व छात्र डा. अनिरबन गुहा ने दूध में मौजूद पोषक तत्व मैग्नीशियम पर रिसर्च की है। वह वर्तमान में दिल्ली स्थित केंद्रीय पशुपालन एवं मत्स्य मंत्रलय में लाइवस्टॉक अफसर के पद पर तैनात हैं। मैग्नीशियम की कमी से दूध का फायदा आधा हो जाता है। यह तत्‍व बेहद जरूरी है।

इनके मुताबिक दूध में मैग्नीशियम तत्व की जांच अब चंद मिनट में हो सकती है। इसके लिए उन्होंने कुछ विशेष केमिकल का प्रयोग किया है। डा. गुहा बताते हैं कि यह टेस्ट 200 रुपये तक में किया जा सकता है। अब तक दूध में मैग्नीशियम का आकलन करने के लिए लाखों रुपये की मशीनों का प्रयोग किया जाता रहा है, जिस पर समय व विशेषज्ञ का होना भी आवश्यक है। मौजूदा समय में डा. गुहा नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल कार्यक्रम को देख रहे हैं।

अपनी इस रिसर्च के लिए डा. गुहा ने 2012 में केंद्र सरकार के पेटेंट कार्यालय में आवेदन किया था। तब से पेटेंट के लिए कई प्रक्रियाएं चलती रहीं। विभिन्न जगह से निरीक्षण होने के बाद आठ साल बाद 8 सितंबर को इस रिसर्च को पेटेंट मिला है। यह 20 वर्ष की अवधि के लिए दिया गया है।

थनैला रोग में मैग्नीशियम के प्रभाव से शुरू हुई थी रिसर्च

डा. अनिरबन गुहा बताते हैं कि 2008-09 में उन्होंने लुवास से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी। इसी दौरान उन्होंने पशुओं में होने वाले थनैला रोग का दूध पर प्रभाव जानने के लिए रिसर्च की थी। इसमें उन्होंने दूध में मैग्नीशियम पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसको लेकर खोज की।

इस खोज को करते समय उन्होंने ऐसी तकनीक विकसित करने के बारे में सोचा, जिससे दूध में मैग्नीशियम की मात्र का पता लगाया जा सके। कुछ केमिकल के प्रयोग के बाद टेस्ट की यह तकनीक विकसित भी हो गई। साथ ही रिसर्च में यह भी पता चला कि थनैला रोग होने पर भी मैग्नीशियम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

आमतौर पर 100 मिलीलीटर दूध में कम से कम 15.21 मिलीग्राम मैग्नीशियम की मात्र होनी चाहिए। जांच में 14 से 16 मिलीग्राम मैग्नीशियम पाया गया। जांच के बाद दूध में मैग्नीशियम तत्व सामान्य ही मिला। यह प्रयोग हरियाणा की मुर्राह नस्ल की भैंस के दूध पर किया गया था।

मैग्नीशियम क्यों है जरूरी

यह रिसर्च इसलिए भी जरूरी थी कि दूध में मैग्नीशियम मिनरल अहम योगदान निभाता है। यह हमारे शरीर के सभी अंगों की क्रियाओं को ठीक से चलाने में मदद करता है। अगर यह थोड़ा भी कम हो जाए तो शरीर की ऊर्जा में कमी देखने को मिल सकती है। क्योंकि किसी भी फूड या ड्रिंक को लाभकारी तभी माना जाता है, जब उसमें मिनरल व विटामिन अच्छे पाए जाते हैं।

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