Bharat Band : 27 सितंबर के बंद को लेकर किसान संगठनों की सामने आ रही अलग-अलग राय, ये है वजह

Bharat Band 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है हालांकि यह बंद पहली बार नहीं हाे रहा है। आंदोलन के साढ़े नौ महीने से ज्यादा के वक्त में पहले भी बंद हुए हैं। इस बार के बंद को लेकर हरियाणा के कई संगठनों की राय अलग-अलग है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 11:44 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 11:44 AM (IST)
Bharat Band : 27 सितंबर के बंद को लेकर किसान संगठनों की सामने आ रही अलग-अलग राय, ये है वजह
भारत बंद को लेकर किसान संगठनों की अलग-अलग राय।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के बीच अब एक बार फिर से 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है, हालांकि यह बंद पहली बार नहीं हाे रहा है। आंदोलन के साढ़े नौ महीने से ज्यादा के वक्त में पहले भी बंद हुए हैं। इस बार के बंद को लेकर हरियाणा के कई संगठनों की राय अलग-अलग है। आंदोलन में पहले दिन से सक्रिय हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य इस बंद के आह्वान पर अलग राय रखते हैं।

बंद का फायदा तभी मिलता है जब वह देशव्यापी हो

हरियाणा मोर्चा के सदस्य एवं भाकियू लोकशक्ति के नेता जगबीर घसोला का कहना है कि बंद का फायदा तभी मिलता है जब वह देशव्यापी हो। पहले के जो बंद हुए, वे एक तरह से हरियाणा व पंजाब तक सीमित होकर रह गए। यहां तक की उत्तर प्रदेश में भी पूरा असर नहीं रहा। इस बार भी यदि ऐसा ही होता है तो फिर बंद का क्या फायदा होगा। अगर यह बंद देशव्यापी होता है तब तो इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा का फैसला पूरी तरह सही माना जाएगा। वैसे भी आंदोलन में शामिल किसान तो ऐसा प्रभावी फैसला लेने की अपेक्षा रखते हैं, जिससे की सरकार दबाव में आए और तीनों कानूनों के साथ ही एमएसपी पर कानून को लेकर भी किसान हित में फैसला हो। बंद तो पहले भी हो चुके हैं। ऐसे में उम्मीद यही की जाती है कि कोई नया फैसला होना चाहिए। मगर बार-बार बंद का फैसला लिया जाना और वह बंद भी एक दायरे तक सीमित होकर जाने से किसानों के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की कहीं सरकार से सांठगांठ तो नहीं।

सरकार ने बार्डर बंद किए तो किसान जिम्मेदार कैसे

अब दिल्ली के बार्डरों को ही लें तो सरकार ने इन्हें बंद कर रखा है और जिम्मेदार किसानों को ठहराने की कोशिश हो रही है। इसलिए सरकार पर दबाव बनाने वाले फैसले होने चाहिए। ताकि किसानों का यह संघर्ष कामयाब हो सके।  वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति के नेता प्रदीप धनखड़ का कहना है कि आंदोलन में आखिर तक जो किसान बैठा हुआ है और घर व गांव से हर संभव मदद आंदोलन में कर रहा है, उनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए आंदोलन को सफल बनाकर ही दम लिया जाएगा।

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