बच्चों के कमरों से सीरिज मिलने लगे तो हो जाइये सावधान, आपके बच्चे हो सकते हैं नशे से ग्रस्त

जागरण संवाददाता हिसार नशीले पदार्थों का सेवन करने से समाज के युवा अपनी जिदगी को दांव पर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 07:18 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 07:18 AM (IST)
बच्चों के कमरों से सीरिज मिलने लगे तो हो जाइये सावधान, आपके बच्चे हो सकते हैं नशे से ग्रस्त
बच्चों के कमरों से सीरिज मिलने लगे तो हो जाइये सावधान, आपके बच्चे हो सकते हैं नशे से ग्रस्त

जागरण संवाददाता, हिसार: नशीले पदार्थों का सेवन करने से समाज के युवा अपनी जिदगी को दांव पर लगा रहे हैं। आज के समय में युवतियां भी नशे की गिरफ्त में पड़ रही है। सिविल अस्पताल में 450 से अधिक युवा नशे का उपचार करवा रहे हैं। युवा अपनी समस्याओं को किसी से शेयर ना करके इनसे छुटकारा पाने के लिए नशे का सहारा ले रहे हैं, लेकिन उनकी नशा करने की आदत उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने की बजाय उनकी जिदगी का लील रही है। सिविल अस्पताल में नशा रोगियों की काउंसिलिग की जाती है और उन्हें नशे से दूर करने के लिए मानसिक उपचार भी किया जाता है। सिविल अस्पताल में क्लीनिक साइकोलॉजिस्ट डा. शालु ने बताया कि पिछले 10 सालों में नशे के 35 फीसद रोगी बढ़े हैं। वहीं प्रतिदिन 10 लोग नशे की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। पूरी दूनिया में 35 मिलियन लोग नशे की चपेट में हैं। 26 जून को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है। 2020 में इसकी थीम बैटर नॉलेज फोर बेटर केयर पर आधारित है। युवा अपनी युवावस्था में समस्याओं से बचने के लिए नशे का सहारा लेते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसकी लत लग जाती है। जिसके चलते वह अपनी जीवन बर्बाद कर लेते हैं।

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नशा करने के ये कारण होते हैं

- जीवन में कोई लक्ष्य न होना

- पारिवारिक कलह

- प्यार में धोखा

- किसी अभिनेता या रोल मॉडल को फोलो करना

- दिखावा करने के लिए

- हम उम्र दोस्तों में पैठ बनाने के लिए

- अवैध तस्करी कर रहे लोगों के चंगुल में फंसना।

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अभिभावक ऐसे करें बच्चों में नशा करने की आदत की पहचान

- बच्चे का परिवार के अन्य लोगों से अलग अथवा कटा-कटा सा रहना।

- गैंग एडिक्शन और उसके बड़ी उम्र के दोस्त होना।

- घर में सीरिज आदि मिलना।

- शरीर पर कटे-फटे घावों का मिलना।

- घर से सामान चोरी होना।

- बच्चे का घर वालों से नजरें चुरा कर व स्पष्ट बात ना करना।

- स्वभाव में चिड़चिड़ापन होना।

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नशा छुड़वाने के लिए ये करें

- अपने बच्चों के लिए स्वयं आदर्श बनें।

- बच्चे को उसके जीवन में होने का मकसद व लक्ष्य बताइये।

- बच्चे को पारिवारिक व सामाजिक व्यवहार की शिक्षा दें।

- बच्चे से उनकी बात जाने, उन्हें समय दे, उनकी समस्याओं के बारे में जाने और उनका निदान करें।

- अपने बच्चों को पैसे व रिश्तों की अहमियत बताएं।

- बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें उनका सामान भी लगातार चेक करें।

- बच्चे अगर नशे में पड़ते है तो उनके उपचार के लिए साइकेट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से मिले।

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नशे के ये दुष्प्रभाव होते हैं

-नशे से शारीरिक, मानसिक व सामाजिक दुष्प्रभाव हमारी जिदगी पर पड़ता है।

- शारीरिक प्रभाव में लीवर का बढ़ जाना या सूख जाना।

- पेट में सूजन होना

- रक्त शुगर का बिगड़ना

- याददाश्त कम हो जाना

- टीबी, कैंसर, हेपेटाइटिस सी जैसी बीमारियां होना

- मानसिक प्रभाव में आत्मसम्मान का कम हो जाना

- हीनभावना आना

- गुस्सा चिड़चिड़ापन आना

- उदासी रहना

- सामाजिक प्रभाव में घर में लड़ाई रहना

- सामाजिक प्रतिष्ठा का कम होना

- अपराधों का बढ़ना

- समाज में अविश्वास बढ़ना

- धन की बर्बादी।

- नौकरी करने में परेशानी।

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