बनभौरी में पोते-पोतियों संग मिल दादा ने बनाई वाटिका
राजेश चुघ बरवाला कोरोना से जंग जीतने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी और लोगों क
राजेश चुघ, बरवाला
कोरोना से जंग जीतने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी और लोगों की भागदौड़ आजकल लगभग हर और दिख रही है। इसका कारण है ऑक्सीजन की कमी और ऑक्सीजन की कमी का कारण खुद मनुष्य है। जिसने हरे-भरे पेड़ों को काटकर गगनचुंबी इमारतें बना लीं। प्रकृति ही ऑक्सीजन का सबसे बड़ा कारखाना है। यह कहना है गांव बनभोरी के सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापक श्रीचंद का।
जिन्होंने 2020 में लॉकडाउन के दौरान घर में पड़ी खाली जगह में बगीचा बनाने की शुरुआत की। परिवार में पोते-पोतियो में प्रकृति प्रेम व पेड़ पौधों के प्रति लगाव विकसित करने के उद्देश्य से यह शुरूआत की गई। इस शुरूआत का असर यह हुआ कि आज घर के भीतर ही एक सुंदर वाटिका तैयार हो गई है।
मास्टर श्रीचंद ने बच्चों के हाथों से 120 प्रकार के औषधीय एवं औरनामेंटल पौधे लगवाए हैं। इसके अलावा घर में प्रयोग के लिए हर प्रकार की सब्जी भी इस वाटिका के चारों तरफ लगाई गई है। मास्टर श्रीचंद द्वारा बनाई गई बगिया की खुशबू से अब घर महक उठा है।
अधिक से अधिक पौधारोपण आज समय की मांग
प्रकृति प्रेमी मास्टर श्रीचंद खाली समय में छोटे बच्चों को सब्जियों की बिजाई, पेड़ पौधों के रखरखाव बारे अनुभव सांझा करते हैं। इस पुनीत कार्य से बच्चों में प्रकृति के प्रति सजग सोच और अच्छे संस्कार विकसित हो रहे हैं। भागदौड़ भरी जिदगी में प्रकृति प्रेम बहुत जरूरी है। ताकि आने वाली पीढि़यां ऑक्सीजन की कमी ना झेले। उनका कहना है कि अच्छी सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए खाली जगह पर अधिक से अधिक पौधारोपण आज समय की मांग है।
दैनिक जागरण की पहल स्वागत योग्य
मास्टर श्रीचंद का कहना है कि प्रकृति एवं वनस्पति संरक्षण के लिए दैनिक जागरण की यह एक अनूठी पहल है। निश्चित रूप से यह पहल आमजन में औषधीय व फलदार पौधारोपण के लिए एक प्रेरणा का काम करेगी। इससे हर व्यक्ति में जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखने की सजग सोच विकसित होगी।
परिवार के हर सदस्य की भूमिका
हरियाणवी चुटकुला सम्राट, हरियाणवी कलाकार, शिक्षाविद आजाद सिंह दूहन के पिता श्रीचंद ने घर के हर सदस्य को वाटिका के हर पौधे की देखभाल व रखरखाव की जिम्मेवारी बांट रखी है। अखिल वाटिका में फूलों के पौधे, अनु बगिया में फलदार पौधे व दीप्ति वाटिका में हर प्रकार की सब्जी तैयार की जाती है। वाटिका में अंग्रेजी घास को देखकर आने वाला व्यक्ति समझता है जैसे हरा गलीचा बिछा रखा है। गांव बनभोरी में मास्टर श्रीचंद की अनूठी पहल से ग्रामीण क्षेत्र में घर में बागवानी, सब्जी उत्पादन व प्रकृति प्रेम के प्रति नई सोच विकसित करने की प्रेरणा ग्रामीणों को मिल रही है। इस प्रकार के कार्य से गांव में जैविक खाद उत्पादन, बेहतर खानपान एवं बच्चों व बुजुर्गों में अच्छा तालमेल स्थापित होगा। इसके अलावा बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने के लिए बुजुर्गों की छत्रछाया में सभी को इस प्रकार की पहल शुरू करनी चाहिए।