फतेहाबाद में नगर परिषद अधिकारियों पर हमलाः विवाद शांत, लेकिन अवैध कालोनी पर नहीं आई आंच
जिस जगह नव निर्मित कालोनी को लेकर विवाद हुआ था। उस पर किसी प्रकार की आंच नहीं आई। वैसे कार्रवाई का तो सवाल ही नहीं उठता। इसकी वजह है कि काटी गई कालोनी भाजपा के एक कदावर नेता की जमीन पर बनी है।
राजेश भादू, फतेहाबाद। बेशक प्रोपर्टी डीलरों व नगर परिषद के अधिकारियों के बीच हुई हाथापाई का मामला उपायुक्त व भाजपा नेताओं ने शांत करवा दिया है। लेकिन जिस जगह नव निर्मित कालोनी को लेकर विवाद हुआ था। उस पर किसी प्रकार की आंच नहीं आई।
वैसे कार्रवाई का तो सवाल ही नहीं उठता। इसकी वजह है कि काटी गई कालोनी भाजपा के एक कद्दावर नेता की जमीन पर बनी है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे प्रकरण की उचित जांच करने की बजाए मामले का शांत करते हुए रफा-दफा कर दिया है। हद तो यह है कि गत मंगलवार को दिशा की बैठक में खुद एडीसी डा. मनीश नागपाल ने सांसद सुनीता दुग्गल को बताया था कि प्रोपर्टी डीलरों ने अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मारपीट अवैध कालोनी की प्रोपर्टी आइडी न बनाने को लेकर की थी। लेकिन उसके बाद एडीसी के साथ नगरायुक्त ने अवैध कालोनी काटने वालों पर मामला दर्ज नहीं हुआ। अब भी वे बयान देने से बच रहे है।
सत्ताधारी पक्ष के नेता की जमीन पर काटी है कॉलोनी
दरअसल, भूना मोड़ के पास स्थित दूरदर्शन टावर के पास करीब पौने तीन एकड़ जगह में कालोनी काटी गई। यह कालोनी सत्ताधारी पार्टी के नेता काटकर इस कालोनी से 35-35 मरले के करीब 12 प्लाट प्रोपर्टी डीलरों को बेच दी। इसे खरीदने वाले अधिकांश वहीं लोग है जिन्होंने गत सोमवार को प्रोपर्टी आईडी को लेकर नगर परिषद के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मारपीट की। आरोप है कि डीलरों ने कालोनी काटने वाले नेता से 400 मरले जगह 3 लाख रुपये प्रति मरला खरीदी थी। अब यही डीलर 35 मरले के प्लाट को अधिक रेट में बेच रहे हैं।
प्रति मरला 8 लाख रुपये तक बिक रहा प्लॉट
एक डीलर ने बताया कि 35 मरले के प्लाट के 7 प्लाट बनाए जा रहे हैं। 5 मरले के बने प्लाट को प्रति मरला 5 से 8 लाख रुपये के हिसाब से बेचा जा रहा है। करीब 440 मरले में से सड़क निकालकर 400 मरले जगह को करीब 22 करोड़ रुपये का कारोबार किया गया है। अब हाथापाई का प्रकरण आगे बेचे जा रहे 5-5 मरले के प्लाट की प्रोपर्टी आईडी को लेकर है। डीलरों का कहना है कि 35 मरले का मालिक अपनी जगह को आगे न बेच सके। यह तो कानून में भी रोक नहीं। जबकि नगर परिषद के अधिकारी एक प्रोपर्टी आई के आगे हिस्से तैयार करने को तैयार नहीं थे। लेकिन अब हाथापाई का समझौता हुआ है तो प्रोपर्टी आईडी भी जारी हो जाएगी। बताया जा रहा है कि समझौते होने से अब डीलर कालोनी के प्लाट का रेट बढ़ाने वाले है।
समझौता न होता तो डीलरों से फंस जाते करोड़ों रुपये
नगर परिषद के अधिकारियों व डीलरों में समझाैता न होता तो करोड़ों रुपये फस जाते। दोनों के विवाद में उच्च स्तरीय जांच होती तो अवैध काटी गई कालोनी वालों पर मामला दर्ज होता। कालोनी में जो मकान बनाए जा रहे है वो भी सील हो जाते। वहीं नगर परिषद के अधिकारियों के पुराने मामले उठते। जिसमें उन्होंने इस तरह शहर में काटी गई अनेक अवैध कालोनियों में पहले प्रोपर्टी आइडी जारी की हुई थी। ऐसे में उन पर भी कार्रवाई तय थी। ऐसे में दोनों पक्ष ने समझदारी से काम लिया। पूरे प्रकरण को समझौता करते हुए शांत ही नहीं किया दबा भी दिया। अब दोनों पक्षों में कार्रवाई नहीं होगी। रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा व भाजपा के प्रदेश विस्तार भारत भूषण के आने के बाद प्रशासन भी स्वत: जांच नहीं करवाएगा।
सीवरेज व सड़क का निर्माण सरकारी महकमों से हुआ
दूरदर्शन टॉवर के पास काटी गई कालोनी में बिजली, सीवरेज व सड़क निर्माण संबंधित सरकारी महकमों ने किया। पहले डीलरों ने खुद अपने रुपये लगाकर दोनों काम करवा चाहते थे। बाद में अधिकारियों से संपर्क हो गया। अधिकारियों को भी मूलभूत सुविधा देने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। वजह थी कि काटी गई कालोनी के चारों तरफ पहले ही शहर विकसित हो चुका था। ऐसे में उन्होंने आसानी से कार्य मंजूर करवा दिया। एक डीलर ने बताया कि कालोनी में सड़क बनाने के लिए पहले 10 लाख ईंटें 5 हजार रुपये प्रति हजार में खरीदी, लेकिन अधिकारियों ने मूलभूत सुविधाएं देने की वजह से ईंटे आगे बेच दी। शहर में भी कई लोगों ने इन डीलरों से ईंटें 4 हजार रुपये प्रति हजार तक खरीदी।
मैंने बैठक में सबके सामने बता दिया थी हकीकत : एडीसी
एडीसी एवं नगरायुक्त डा. मुनीश नागपाल ने कहा कि मैंने पूरे प्रकरण के बारे में सांसद सुनीता दुग्गल को पूरे प्रकरण की हकीकत बता दी थी। अब सांसद के मामला संज्ञान में है। इसके बार में मैं कुछ नहीं कह सकता।
अप्रूव्ड कालोनी का हिस्सा, नहीं कर सकते कार्रवाई : सुरेश
नगर योजनाकार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सुरेश कुमार ने कहा कि दूरदर्शन के पास काटी गई कालोनी एग्रीकल्चर लैंड पर है। लेकिन 2004 में सरकार ने प्रदेश की अनेक अवैध कालोनियों को वैध किया था। उस दौरान काटी गई कालोनी की जमीन सुंदर नगर का हिस्सा दिखाते दिया गया। लंबे समय से खेती होती रही। ऐसे में अब नगर योजनाकार विभाग के कानून कार्रवाई नहीं कर सकते। वैद्य कालोनी का हिस्सा न होती तो कब की जेसीबी चलाकर निर्माण कार्य तूड़वा देते। वैसे अब शहर के बीच में काटी गई कालोनी में गली की चौड़ा, नक्शा इत्यादि देखना नगर परिषद का कार्य है।