कुत्ते के काटने पर हल्दी-मिर्च लगाने से खत्म होता है रेबीज का असर, ये सच नहीं केवल भ्रम

जानवरों में रेबीज की बीमारी आम है। अक्सर कभी कुत्ता या कोई और जानवर काट ले तो हमारे घरों में लोग अचार हल्दी मिर्च या सरसों का तेल लगाते हैं। लोग मानते हैं इसे लगाने से रेबीज का असर कम हो जाता है। मगर यह धारणा पूरी तरह से गलत

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 10:10 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 10:10 AM (IST)
कुत्ते के काटने पर हल्दी-मिर्च लगाने से खत्म होता है रेबीज का असर, ये सच नहीं केवल भ्रम
कुत्ता या कोई और जानवर काट ले तो लोग अचार, हल्दी, मिर्च या सरसों का तेल लगाते हैं

हिसार, जेएनएन। जानवरों में रेबीज की बीमारी आम है। अक्सर कभी कुत्ता या कोई और जानवर काट ले तो हमारे घरों में लोग अचार, हल्दी, मिर्च या सरसों का तेल लगाते हैं। लोग मानते हैं कि इसे लगाने से रेबीज का असर कम हो जाता है। मगर यह प्रैक्टिस पूरी तरह से गलत है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजय जाधव बताते हैं कि रेबीज पर मसाले या झाड़ फूंक काम नहीं करता है। अगर आपको किसी जानवर ने काटा है तो तत्काल उस स्थान को पानी और साबुन से धोएं, फिर एंटीसेप्टिक लगाएं।

जिससे काफी हद तक रेबीज के किटाणुओं को आगे बढऩे से रोक सकते हैं। इसके बाद भी टीका लगवाना आवश्यक होता है, क्योंकि एक बार रेबीज का वायरस आपके भीतर पहुंच गया तो हो सकता है वह 10 दिनों में असर दिखाए या कई वर्ष बाद ही असर दिखा सकता है। रेबीज बीमारी लीजा वायरस से फैलती है। यह वायरस नसों के जरिए धीमे-धीमे दिमाग तक पहुंच जाता है।

रेबीज को लेकर भ्रांतियों को दूर करने को पहली बार वेबिनार

लोगों की इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने के लिए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और नेशनल एकेडमी ऑफ वेटरनरी साइंस (एनएवीएस) मिलकर सोमवार को विश्व रेबीज दिवस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का वेबिनार आयोजित कर रहे हैं। यह कार्यक्रम दोपहर दो बजे से लेकर पांच बजे तक आयोजित होगा। जिसमें रेबीज पर काम कर चुके कई बड़े पशु विज्ञानी प्रतिभाग करेंगे। इसमें मुख्य रूप से लुवास के कुलपति डा. गुरदियाल ङ्क्षसह, एनएवीएस के प्रेसिडेंट मेजर जनरल डा. श्रीकांत, सिडनी विश्वविद्यालय से वेटरनरी इपिडिमियोलॉजिस्ट ले. कर्नल हरीश तिवारी, वल्र्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ के बेंगलुरु स्थित रिफरेंस लैब से एसोसिएट प्रोफेसर एवं लैबोरेटरी डायरेक्टर श्रीकृष्णा इसलूर, लुधियाना की गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस विश्वविद्यालय से वेटनरी पैथेलॉजी विभाग के हेड डा. सीके ङ्क्षसह सहित अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे। कार्यक्रम में आर्गेनाइङ्क्षजग सेक्रेटरी डा. एसके गुप्ता, सह समन्वयक एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजय जयंत जाधव व संचालन डा. नीलेश ङ्क्षसधु कराएंगे।   

रेबीज से देश में हर साल 20 हजार लोगों की होती है मृत्यु

लुवास के अनुसार भारत में हर साल रेबीज के कारण 20 हजार से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु होती है। कुत्ता इस रोग का मुख्य स्रोत है। रेबीज मुख्यत: बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। रेबीज रोग के वायरस पागल कुत्ते की लार व अन्य द्रव्यों के द्वारा संक्रमण करते हैं। अधिकतर घटनाएं पागल कुत्तों के काटने के कारण ही होती हैं। बिल्ली, बंदर, नेवला, गीदड़, गाय, भेड़, बकरी, ऊंट, गाय, भैंस में भी रेबीज के वायरस का प्रसार हो सकता है।

रेबीज रोकथाम के लिए यह करें

- पालतू जानवरों खासकर कुत्ते-बिल्लियों का टीकाकरण कराएं।

- पालतू कुत्तों का बधियाकरण कराएं, यह रेबीज की रोकथाम में सहायक है।

- आवारा कुत्तों से अपना बचाव करें।

- घर के बाहर गंदगी व खाना न छोड़ें क्योंकि इससे आवारा व जंगली जानवर आकर्षित होते हैं।

- जंगली जानवरों को पालतू न बनाएं।

- यदि किसी पशु का असामान्य व्यवहार देखें तो पशु चिकित्सालय व स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करें।

जानवरों द्वारा काटे जाने पर क्या करें

- जख्म को पानी व साबुन से अच्छी तरह धोएं। साबुन न हो तो साफ पानी से धोएं।

- घाव पर कोई एंटीसेप्टिक दवा या अल्कोहल लगाएं।

- चिकित्सक से संपर्क करें, आवश्यक होने पर टीकाकरण कराएं। सही टीकाकरण रेबीज से बचा सकता है।

- पागल कुत्ते व बल्ली की पशु चिकित्सक से जांच कराएं।

- प्रभावित जानवर की 10 दिन तक निगरानी रखें।

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