बहादुरगढ़ में मिला ग्लैंडर्स का एक और मामला, पाॅजिटिव घोड़ी को विभाग टीम ने दी मृत्यु
हिसार में स्थित एनआरसीई की लैब में सैंपलों की जांच होती है। भारत की यह इकलौती विशेष लैब है। जो इन सैंपलों की जांच करती है। ग्लैंडर्स एक वायरस है और यह संक्रामक है। यह पशुओं से इंसानों में फैलने की क्षमता रखता है इसलिए घातक है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। बहादुरगढ़ क्षेत्र में ग्लैंडर्स का एक और मामला सामने आया है। मांडौठी गांव में भी एक घोड़ी पाजीटिव मिली। ऐसे में पशुपालन विभाग ने उसे आनन-फानन में सुख मृत्यु दे दी। इस दौरान सभी नियमों का पालन किया गया। आसपास के एरिया को भी सैनिटाइज किया गया। इससे पहले दो घोड़े बामनौली के ईंट भट्ठे पर पाजीटिव पाए गए थे। उनको भी इसी तरह मौत दे दी गई थी।
दरअसल, विभाग द्वारा विगत में रोहतक से बहादुरगढ़ के ईंट भट्ठे पर लाए गए एक खच्चर के ग्लैंडर्स पाजीटिव पाए जाने के बाद बहादुरगढ़ उपमंडल में पांच से 25 किलाेमीटर के दायरे में काफी सैंपल लिए गए थे। इसमें पहले बामनौली में दो घोड़े पाजीटिव पाए गए थे। उन दोनों को विभाग द्वारा नियमानुसार मार दिया गया था। अब मांडौठी में भी एक घोड़ी ग्लैंडर्स पाजीटिव पाई गई। यहां पर घोड़ी को पशुपालक द्वारा घर में ही रखा गया था। वह पाजीटिव मिलने पर विभाग ने उसे सुख मृत्यु देने में देर न लगाई।
पशुपालन विभाग के एसडीओ डा. रवींद्र सहरावत ने बताया कि बहादुरगढ़ में कुल तीन ग्लैंडर्स पाजीटिव मामले मिले हैं। तीनों में पशुपालकों को मुआवजा राशि की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब मांडौठी गांव के आसपास के एरिया में भी सैंपल लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स लाइलाज बीमारी है। इसमें अश्व प्रजाति का पशु कोई भी पाजीटिव हो जाता है तो उसे सुख मृत्यु दी जाती है ताकि यह बीमारी दूसरे पशुओं में न फैले।
बता दें कि इससे पहले भी हिसार और बहादुरगढ़ समेत अन्य जगहों पर ग्लैंडर्स के केस मिले चुके हैं। ऐसे केसों में मौत देने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता है। हिसार में स्थित एनआरसीई की लैब में सैंपलों की जांच होती है। भारत की यह इकलौती विशेष लैब है। जो इन सैंपलों की जांच करती है। ग्लैंडर्स एक वायरस है और यह संक्रामक है। यह पशुओं से इंसानों में फैलने की क्षमता रखता है इसलिए घातक है।