हिसार में लुवास के विशेषज्ञों का कमाल, गाय- भैंसें भी बन सकेंगी सेरोगेसी मदर, 5 करोड़ होंगे खर्च

भारत सरकार ने लुवास को पांच करोड़ रुपये सेरोगेसी तकनीक स्थापित करने के लिए लैब तैयार करने को दिए थे। लैब तैयार हो गई हैं और इसमें काम भी शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां विज्ञानियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 07:25 AM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 07:25 AM (IST)
हिसार में लुवास के विशेषज्ञों का कमाल, गाय- भैंसें भी बन सकेंगी सेरोगेसी मदर, 5 करोड़ होंगे खर्च
लुवास में 5 करोड़ रुपये की लागत से लैब तैयार हुई है, सेरोगेसी से पशुओं की नस्ल सुधरेगी

हिसार [वैभव शर्मा] अब गाय भैंसें भी सेरोगेसी मदर बन सकेंगी। इसके लिए कुछ समय पहले भारत सरकार ने लुवास को पांच करोड़ रुपये सेरोगेसी तकनीक स्थापित करने के लिए लैब तैयार करने को दिए थे। लैब तैयार हो गई हैं और इसमें काम भी शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां विज्ञानियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सेरोगेसी तकनीक के तहत अच्छी नस्लों के पशुओं को तैयार किया जा सकेगा। गौरतलब है कि नॉर्थ इंडिया में पहली बार इसकी शुरुआत के लिए हिसार के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय यानि लुवास को जिम्मेदारी मिली थी।

विज्ञानियों की मानें तो इस तकनीक से सिर्फ ऐसी नस्लों के पशुओं से जन्म दिलवाएंगे जो उच्च गुणवत्ता के हैं। इसके लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व हरियाणा सरकार ने लुवास को करीब 5 करोड़ रुपये दिए हैं। देश में हरियाणा तीसरा राज्य है जहां सेरोगेसी तकनीक से अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं को जन्म देने के लिए लैब स्थापित हुई है। इससे पहले मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में यह प्रोजेक्ट संचालित किया गया है।

इस तरह लैब में होगा काम

प्रोजेक्ट के तहत इन विट्रो फर्टीलाइजर प्रोजेक्ट के लिए अत्याधुनिक लैब स्थापित हुई है। लैब में उच्च गुणवत्ता रखने वाले पशुओं के सीमन को फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया से होकर गुजारा जाएगा। इसके बाद एक उत्तर सीमन तैयार होगा जिसे तकनीक के माध्यम से ऐसी मादा पशु को दिया जाएगा जो खुद भी अच्छी गुणवत्ता रखती हो। यह प्रयोग शुरुआत में केवल दुधारू पशुओं यानि गाय या भैंस पर किया जाएगा।

जानिए इस प्रोजेक्ट पर कैसे किया जाएगा काम

इस प्रोजेक्ट पर कई विभागों को लगाया गया है। इसमें एनिमल बॉयो टेक्नोलॉजी, एनिमल री-प्रोडक्शन, वेटरनरी गाइनीकोलॉजी, एनिमल ब्रीडिंग डिपार्टमेंट मिलकर काम कर रहे हैं। कुछ समय पूर्व लुवास को यह प्रोजेक्ट मिला था। जिसके तहत लैब को बनाने का कार्य चल रहा था।

लुवास नर पशुओं से तैयार करेगा अच्छी गुणवत्ता के प्रजनन अंडे

इस प्रोजेक्ट में कई प्रकार के सीमन लिए जाते हैं। इनको फर्टीलाइज कर कम से कम 3 से 4 प्रजनन अंडे तैयार किए जाएंगे। फिर एक गाय या भैंस में इन एग्स को सीमन ट्रांसफर टेक्नोलॉजी से उनके गर्भ में स्थापित किया जाएगा। इस भैंस या गाय से एक वर्ष में दुधारू पशु तैयार हो जाएगा।

आंकड़ों में समझिए हरियाणा की कृषि में विभिन्न सेक्टर्स का योगदान

सेक्टर- क्षेत्रफल- आय

डेयरी एवं पोल्ट्री- 0.48 फीसद- 38.14 फीसद

फसलें- 94.08 फीसद- 53.18 फीसद

बागवानी- 5.31 फीसद- 6.77 फीसद

मत्स्य पालन- 0.12 फीसद- 1.91 फीसद

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