तारा बाबा कुटिया है आस्था का केंद्र, मीलों दूर से दिखती है भगवान शिव की प्रतिमा, रोचक है कहानी

सिरसा के रामनगरियां गांव के पास तारा बाबा कुटिया है। कई राज्यों में इसकी मान्यता है। यहां धर्मेंद्र संजय दत्त सुनील शेट्टी समेत कई बॉलीवुड हस्तियां कार्यक्रम में आ चुकी हैं। इसका निर्माण 2003 में किया गया। यर तारा बाबा की तपस्थली है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:45 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:58 PM (IST)
तारा बाबा कुटिया है आस्था का केंद्र, मीलों दूर से दिखती है भगवान शिव की प्रतिमा, रोचक है कहानी
सिरसा में बाबा तारा कुटिया में बनाए गए शिवाले का बाहरी दृश्य।

जागरण संवाददाता,  सिरसा। वैसे तो सिरसा शहर धार्मिक स्थलों के नाम से ही प्रचलित है। परंतु, एक स्थान ऐसा है श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों के मन में भी देखने की जिज्ञासा पैदा करता है। यह स्थान वही है श्री तारा बाबा कुटिया। शायद ही कोई शख्स होगा जो सिरसा शहर में आया और उसने तारा बाबा कुटिया के दर्शन न किए हों। यह धार्मिक स्थल आकर्षण का केंद्र है। इसके कुछ रोचक रहस्य भी हैं।

रानियां रोड स्थित रामनगरियां गांव के समीप बनी श्री तारा बाबा कुटिया, करीब 25 एकड़ में फैली हुई है। मुख्य गेट से लेकर कुटिया के अंदरूनी हिस्सों और दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र नजर आते हैं। कुटिया में बनी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और उसके साथ नंदी की मूर्ति मीलों दूर तक स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

डेढ़ दशक पूर्व निर्माण की गई इस तारा बाबा कुटिया का इतिहास प्राचीन तो नहीं परंतु कम समय की अवधि में प्रचलित होने के कारण देश के विभिन्न राज्यों में अपना स्थान बना चुकी है। यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों में बॉलीवुड हस्तियों की उपस्थिति दर्ज है। इनमें हेमा मालिनी, संजय दत्त, धर्मेंद्र, सुनील शेट्टी, अनुराधा पोड़वाल व कविता पोड़वाल सहित अनेक कॉमेडियन व हास्य कलाकार जैसी नामचीन हस्तियां शिरकत कर चुकी हैं।

सिरसा के रामनगरियां गांव के पास स्थित तारा बाबा कुटिया में स्थापित शिवालय।

संत के जीवन से जुड़ा कुटिया का रहस्य

तारा बाबा कुटिया का निर्माण वर्ष 2003 में किया गया था। इसके निर्माण में सबसे बड़ी भमिका कांडा बंधुओं की रही। तारा बाबा का जीवन एक ब्रह्माचारी संत रूप में था। उनका जन्म हिसार जिला के गांव पाली में हुआ था। उनके पिता जमींदार व पशु व्यापारी थे। जब वे तीन वर्ष के थे, उनके माता पिता का देहांत हो गया था। उनकी बुआ उन्हें सिरसा ले आईं। दस वर्ष की आयु में उनका ध्यान भक्ति में लग गया और उन्होंने अपना समय बाबा बिहारी जी (सिरसा) की सेवा में लगा दिया।

14 वर्ष की आयु में तारा बाबा ने लिया था नाम

14 वर्ष की आयु में तारा बाबा ने बिहारी बाबा के शिष्य बाबा श्योराम से नाम ले लिया। उसके बाद वह हिसार के पास वन में तप करने चले गए। लेकिन राम नगरिया गांव (सिरसा से सटा हुआ है) वाले उनकी मिन्नत कर गांव ले आए। गांव के बाहर एक कुटिया बनाकर दी गई। बाबा ने कई साल वहां पर तपस्या की। मौन धारण किया। अकसर शिवरात्रि को वह कुटिया से बाहर निकलते थे। 27 जुलाई, 2003 को बाबा हरिद्वार में शिवरात्रि के दिन स्वर्ग सिधार गए।

आकर्षित करती है 71 फीट ऊंची प्रतिमा

कुटिया के अंदर करीब 71 फुट ऊंची शिव भगवान की प्रतिमा बनी हुई है और उनके साथ ही नंदी की भी प्रतिमा है। जो काफी दूर तक मीलों दूर तक दिखाई पड़ती है। इसके अलावा कुटिया के अंदर बनाई गई गुफा, जिसमें अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान है। जिन्हें बाहरी कारिगरों से तैयार करवाया गया है।

कांडा बंधुओं ने करवाया कुटिया का निर्माण

विधायक गोपाल कांडा तथा उनके छोटे भाई गोबिंद कांडा ने ही तारा बाबा के नाम से कुटिया का निर्माण करवाया। कांडा बंधुओं के नाम से प्रचलित दोनों भाई हर शिवरात्री पर आयोजित होने वाली पूजा अर्चना में परिवार सहित शामिल होते हैं। कुटिया में ही तारा बाबा की आज समाधि बनी हुई है। जहां श्रद्धालु माथा टेकते है।

बाबा तारा कुटिया में स्थित शिवालय

रानियां रोड स्थित बाबा तारा कुटिया में स्थापित शिवालय पर भी शिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां पर मुख्य आकर्षण का केंद्र शिव प्रतिमा, शिवालय, नंदीश्वर और गुफा हैं। शिवालय 71 फुट ऊंचा है, यहां पर स्थापित शिवलिंग महाराजा विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन से लाया गया है। इसका उदगम स्थल नंदेश्वर ओंकारेश्वर से नर्मदा नदी है। यह त्रिशूल युक्त शिवलिंग है। भगवान शिव की सवारी नंदी के लिए बड़ा प्लेटफार्म बना हुआ है। इसके साथ ही भगवान शिव की 108 फुट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। रानियां रोड पर स्थित बाबा तारा कुटिया तक पहुंचने के लिए घंटाघर चौक से होते हुए रानियां बाजार से हाेते हुए तथा शिव चौक से वाल्मीकि चौक से हाेते हुए पहुंचा जा सकता है।

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