शिक्षक मार्गदर्शक होने के साथ राष्ट्र निर्माता भी होता है : प्रो. कुठियाला

गुरु जम्भेश्वर विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विश्वविध्यालय में मानव संसाधन विकास केंद्र में आयोजित हुआ कार्यक्रम।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 11:40 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 11:40 PM (IST)
शिक्षक मार्गदर्शक होने के साथ राष्ट्र निर्माता भी होता है : प्रो. कुठियाला
शिक्षक मार्गदर्शक होने के साथ राष्ट्र निर्माता भी होता है : प्रो. कुठियाला

हिसार (वि) : गुरु जम्भेश्वर विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विश्वविध्यालय में मानव संसाधन विकास केंद्र में आयोजित एक मासिक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें समापन सत्र में हरियाणा उच्चस्तर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला ने कहा कि शिक्षण एक कला एवं विधा है यह एक सरल प्रक्रिया नही है बल्कि जटिल व चुनौतीपूर्ण कार्य है शिक्षकों को यह तय करना होगा कि आज की बदलती हुई परिवेश में कैसे पढ़ायें और कैसे नहीं पढ़ायें ऐसा इसलिए क्योंकि शिक्षक मार्गदर्शक होने के साथ साथ राष्ट्र निर्माता भी है। प्रो. कुठियाला ने कहा की शिक्षण कार्य से आंतरिक रूप से रूबरू होने पर यह वास्तव में एक आनंदमयी प्रक्रिया है क्योंकि छात्रों को ज्ञान सम्प्रेष्ण प्रक्रिया में उसे नियमित रूप से नये नये शैली विकसित करने होते है। शिक्षकों की भूमिका क्लास के अंदर बाहर आभासी माध्यम एवं समन्वित रूप में कैसी होनी चाहिए। यह शिक्षक को खुद ही निर्धारित करना है। इससे पहले उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा कि शिक्षक हमें अज्ञान से ज्ञान, असत्य से सत्य, कुकृति से सुकृति, भ्रम से स्पष्टता, दुर्बलता से सबलता की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करने के साथ साथ राष्ट्र का निर्माता भी होता है। इसलिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को शिक्षण में आना चाहिए एवं इन शिक्षकों का प्रशिक्षण भी सर्वश्रेष्ठ तरीके से किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक एवं जनसंचार के वरिष्ठ प्रोफेसर डा मनोज दयाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए केंद्र की आगामी योजनाओं का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम संयोजक एवं शिक्षा संकाय की अधिष्ठाता प्रो. वन्दना पुनिया ने कहा की शिक्षा न केवल तथ्यों को सिखाता है एबल्कि हमारे मन मस्तिष्क को चितन करने का भी प्रशिक्षण देता है। कार्यक्रम के सह संयोजक तथा केंद्र के सहायक प्रोफेसर अनुराग सांगवान ने कुलगीत प्रस्तुत करने के साथ साथ मंच का संचालन भी किया।

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