Agriculture News: सफेद सोने कपास का ऐसे रखें ख्याल, इन पर लग रहा है ग्रहण

कपास को सुरक्षित रखने के लिए अपनी कपास की फसल का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर खेत में जाकर निगरानी करें। कहीं भी किसी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो विशेषज्ञों से सलाह लेकर उसका उपचार करना चाहिए। जिससे कि कपास में नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 05:06 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 05:06 PM (IST)
Agriculture News: सफेद सोने कपास का ऐसे रखें ख्याल, इन पर लग रहा है ग्रहण
कपास में किसी भी बीमारी के दिखें लक्षण तो विशेषज्ञों की सलाह से करें इलाज।

जागरण संवाददाता, झज्जर। सफेद सोना कहे जाने वाली कपास पर कहीं कोई ग्रहण ना लग जाए, इसी चिंता में किसान रहते हैं। लेकिन, कपास को सुरक्षित रखने के लिए अपनी कपास की फसल का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर खेत में जाकर निगरानी करें। कहीं भी किसी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो विशेषज्ञों से सलाह लेकर उसका उपचार करना चाहिए। जिससे कि कपास में नुकसान होने से बचाया जा सकता है। फिलहाल रेड काटन बग, गुलाबी सुंडी व लाल पत्ता जैसी बीमारियों का खतरा बना हुआ है। इसलिए किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

कपास में रेड काटन बग का असर

फिलहाल कपास में रेड काटन बग का भी असर देखने को मिल रहा है। इसमें लाल रंग का कीट कपास में पैदा हो जाता है। जो कपास में अंडे देता रहता है, उनकी संख्या भी निरंतर बढ़ती जाती है। जब कपास खिलती है तो उसमें इन लाल रंग के कीटों की तादाद काफी होती है। इनके कारण कपास के रंग पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि पैदावार के लिहाज से अधिक नुकसानदायक नहीं माने जाते। फिर भी रंग प्रभावित होने के कारण कपास का उचित भाव भी नहीं मिला पाता। जिसका किसान को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं गुलाबी सुंडी का असर भी देखने को मिल रहा है।

गुलाबी सुंडी दिखे तो इस दवाई का करें छिड़काव

गुलाबी सुंडी खासकर बिना बीटी कपास वाले खेतों में ही अधिक मिलती है। इसलिए किसानों को बीटी कपास के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। अगर गुलाबी सुंडी का असर कहीं दिखाई दे तो किसान क्यूवैनलफोस नामक दवाई की 2 मिली लीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी के हिसाब से मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं। वहीं कपास में लाल पत्ता का भी असर दिखाई दे रहा है। इसमें कपास के पत्ते लाल रंग के हो जाते हैं। यह मैग्नीशियम सल्फेट की कमी से होता है। अगर किसानों को यह लक्षण दिखाई दें तो 1 फीसद मैग्नीशियम सल्फेट को खेत में डाल सकते हैं। साथ ही खेत की निगरानी भी रखनी चाहिए।

विशेषज्ञों की सलाह लें किसान

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र रइया के तकनीकी सहायक अशोक सिवाच ने बताया कि किसान कपास की फसल की देखभाल करें। कहीं भी कपास में किसी बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो उनका विशेषज्ञों की सलाह से ही उपचार करें। फिलहाल कपास में रेड काटन बग, गुलाबी सुंडी व लाल पत्ता जैसी बीमारियों की आशंका बनी हुई है।

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