कृषिमंत्री के बेटे की शादी में मामा ने भरा ऐसा अनोखा भात, हर कोई बोला वाह-भाई-वाह

बड़े घरानों की शादियों में भात भरने पर कोशिश रहती है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा कैश व उपहार देकर चर्चा में बना जाए। मगर कैबिनेट मंत्री ओपी धनखड़ के बेटे की शादी में अलग रस्‍म देखने को मिली

By manoj kumarEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 01:46 PM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 02:37 PM (IST)
कृषिमंत्री के बेटे की शादी में मामा ने भरा ऐसा अनोखा भात, हर कोई बोला वाह-भाई-वाह
कृषिमंत्री के बेटे की शादी में मामा ने भरा ऐसा अनोखा भात, हर कोई बोला वाह-भाई-वाह

झज्जर, जेएनएन। बड़े घरानों की शादियों में मामा द्वारा भरे जाने वाले भात में कोशिश रहती है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा कैश व उपहार देकर चर्चा में बना जाए। मगर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के बेटे आदित्य की शादी में एक अलग ही तरह का भात देखने को मिला। जिसमें कैश तो दिया ही गया मगर साथ में एक मशीन उपहार के तौर पर दी गई।

मगर यह मशीन कृषि मंत्री ओपी धनखड़ या उनके बेटे के लिए नहीं बल्कि उनके पैतृक गांव ढाकला के ग्रामीणों के लिए थी। आप सोच रहे होंगे कि भात में कृषि मशीन देने का औचित्‍य क्‍या है। तो बता दें कि मशीन देने का अनोखा कदम वर्तमान में बनी पर्यावरण संबंधी समस्‍या के निदान के लिए उठाया गया है।

विवाह समारोह में भात की रस्म में मामा पक्ष ने हैप्पी सीडर भेंट की है। यह मशीन पराली प्रबंधन और बिजाई के काम आती है। इस अनूठे भात की पूरे गांव में जमकर चर्चा हुई। इस हैप्पी सीडर को कृषि मंत्री ने अपने पैतृक गांव को सौंप दिया है। इसे देख हर कोई कह उठा कि वाह-भाई-वाह।

उन्होंने कहा कि हम पराली प्रबंधन के लिए कई प्रयास करते हैं, जबकि कुछ लोग पराली को जलाना ही समाधान मानते हैं। उनके गांव का कोई किसान पराली को नहीं जलाए और रोटावेटर से प्रबंधन करके फसल की बुआई कर सकें। इसलिए हैप्पी सीडर गांव को दे दी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में पराली किसानों की अर्थव्यवस्था सुधारने में काफी मदद करेगी। इस दौरान बेटी वालों ने भी पूरे बादली हलके का सम्मान करने की बात कही।

उन्होंने हलके के हर देहल का दस रुपये से मान करने का एलान किया। इससे पहले कृषि मंत्री ने हर घर संजीवनी के तहत 65 हजार पौधे बांटे थे। गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ दैनिक जागरण की ओर से पराली प्रबंधन के तहत चलाए जा रहे अभियान से जुड़े थे।

पराली इसलिए बनी है समस्‍या, ये है निदान

गौरतलब है कि धान की फसल निकालने के बाद बचे फसल अवशेषों को किसान जला देते हैं। पराली इसमें सबसे ज्‍यादा जलाई जाती थी। हालांकि इस साल किसान जागरूक हुए हैं और बाकि सालों की तुलना में कम किसान पराली जला रहे हैं। मगर फिर भी समस्‍या पूरी तरह से खत्‍म नहीं हुई है। ऐसे में पराली के जलाने से पीएम 2.5 आैर पीएम 10 की मात्रा वातावरण में बढ़ जाती है।

इससे लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत होती है तो प्रदूषण का हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पराली जलाने पर प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए हुए हैं। मगर फिर भी किसान पराली जला रहे हैं। लोगों को पराली न जलानी पड़े इसके लिए कई प्रकार की मशीन आती हैं जो फसल अवशेषों को खाद में परावर्तित करने का काम करती है।

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