90 वर्ष बाद एक हिदू नव वर्ष घटा, अब राक्षस नामक होगा नवसंवत्सर

- नए वर्ष के मंगल ही राजा व मंगल ही होंगे महामंत्री जागरण संवाददाता हिसार हिदू धर्म के अ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 09:40 AM (IST)
90 वर्ष बाद एक हिदू नव वर्ष घटा, अब राक्षस नामक होगा नवसंवत्सर
90 वर्ष बाद एक हिदू नव वर्ष घटा, अब राक्षस नामक होगा नवसंवत्सर

- नए वर्ष के मंगल ही राजा व मंगल ही होंगे महामंत्री

जागरण संवाददाता, हिसार: हिदू धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर यानि नव वर्ष मनाते हैं। माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। तकरीबन 90 वर्ष बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब संवत 2078 राक्षस नाम से जाना जाएगा, जबकि संवत्सर के क्रमानुसार नाम की गणना में प्रमादी संवत्सर के बाद आनंद और उसके बाद राक्षस संवत्सर आता है। वहीं संवत्सर 2077 जो वर्तमान में चल रहा है, वह प्रमादी नाम का है। ऐसे में लोगों के मन में ये प्रश्न उठ रहा है कि इसके बाद का संवत्सर जो 2078 के रूप में आ रहा है, वह आनन्द के नाम से न होकर राक्षस क्यों कहला रहा है। इस संबंध में विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पराशर का कहना है कि हिदू ग्रंथों में 60 संवत्सरों का उल्लेख किया गया है, जो क्रमवार चलते हैं। ऐसे में प्रमादी (संवत 2077 प्रमादी के नाम से है) के बाद वाला संवत आनन्द नाम से जाना जाता है, लेकिन इसके बावजूद संवत 2078 राक्षस नाम से जाना जाएगा।

क्रमवार नाम से ऐसे समझें हिदू संवत्सरों को

(1) प्रभव,(2) विभव,(3) शुक्ल,(4) प्रमोद,(5) प्रजापति,(6) अंगिरा,(7) श्रीमुख,(8) भाव,(9) युवा,(10) धाता,(11) ईश्वर,(12) बहुधान्य,(13) प्रमाथी,(14) विक्रम,(15) विषु,(16) चित्रभानु,(17) स्वभानु,(18) तारण,(19) पार्थिव,(20) व्यय,(21) सर्वजित, (22) सर्वधारी,(23) विरोधी,(24) विकृति,(25) खर,(26) नंदन,(27) विजय,(28) जय,(29) मन्मथ,(30) दुर्मुख,(31) हेमलम्ब,(32) विलम्ब,(33) विकारी,(34) शर्वरी,(35) प्लव,(36) शुभकृत,(37) शोभन,(38) क्रोधी,(39) विश्वावसु,(40) पराभव,(41) प्लवंग,(42) कीलक,(43) सौम्य,(44) साधारण,(45) विरोधकृत,(46) परिधावी,(47) प्रमादी,(48) आनन्द,(49) राक्षस, (50) नल,(51) पिगल,(52) काल,(53) सिद्धार्थ,(54) रौद्रि,(55) दुर्मति,(56) दुंदुभि,(57) रुधिरोद्गारी,(58) रक्ताक्ष,(59) क्रोधन और (60) अक्षय।

बदलाव का ये है कारण

दरअसल निर्णय सिधु के संवत्सर प्रकरण में यह उल्लेख किया गया है कि संवत्सर क्रमानुसार चलते हैं। ऐसे में 89 वर्ष का प्रमादी संवत्सर अपना पूरा वर्ष व्यतीत नहीं कर रहा। इसे अपूर्ण संवत्सर के नाम से जाना जाएगा। जिसके कारण 90 वर्ष में पड़ने वाला संवत्सर विलुप्त नाम का संवत्सर आनन्द का उच्चारण नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार वर्तमान संवत 2077 प्रमादी नाम का संवत्सर फाल्गुन मास तक रहेगा। जो 28 फरवरी 2021 से लेकर 28 मार्च 2021 तक रहेगा। इसके बाद पड़ने वाला आनन्द नाम का विलुप्त संवत्सर पूर्ण वत्सरी अमावस्या तक रहेगा। जबकि आगामी संवत्सर संवत 2078 जो राक्षस नाम का होगा वह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होगा। यह संवत्सर 31 गते चैत्र तद अनुसार 13 अप्रैल 2021 मंगलवार से प्रारंभ होगा।

राक्षस संवत्सर में ग्रहों का प्रभाव

शनिदेव मकर राशि में स्वग्रही होकर भोग करेंगे। धनु राशि व कुंभ राशि पर उनकी दृष्टि बनी रहेगी। इन राशियों के जातकों को शनि देव का जाप करना हितकर रहेगा। कर्क राशि पर शनि की दया बनी रहेगी। वृष राशि के जातकों को राहु दिगभ्रमित करेगा। इसलिए वृषभ राशि के जातक राहु का जाप करें।

राक्षत्र संवत्सर का देश-दुनिया पर असर

पंडित राजेश पराशर के अनुसार इस संवत्सर के दौरान रोग बढ़ेंगे, भय और राक्षस प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। यदा-कदा दुर्भिक्ष, अकाल तथा संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा। गुरु के पास वित्त विभाग रहेगा, जिसके चलते धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। वहीं बुध देव कृषि मंत्री हैं, जिससे अनाज की कमी नहीं आएगी। चंद्रमा पर देश रक्षा का भार रहेगा। मंगल ही राजा, मंगल ही मंत्री हैं। इस संवत्सर के राजा व मंत्री दोनों ही मंगल यानि भौमदेव होंगे। ऐसे में मंगल जहां शरीर में रक्त के कारक हैं, वहीं ये जमीन के भी कारक हैं। जिसके चलते जमीनी सीमा के मामले में देश को लाभ होगा।

दिखेगा मंगल का असर

दोनों पदों पर मंगल के ही होने के चलते माना जा रहा है कि यह स्थिति भारत के पराक्रम और वैभव में वृद्धि करेगी। चूंकि इस वर्ष के राजा मंगल होंगे तो ये हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल बहुत ऊंचा रखेंगे। जहां तक हमारी आर्म फोर्स की बात है, वे नए तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकती हैं। नए तरह के क्षेत्रों में अपना विस्तार करते हुए नए आपरेशन कर सकती हैं। कूटनीति व विदेश नीति इस साल नए अंदाजा में होगी, जिसे आगे चल कर दुनिया भर में सराहा जाएगा।

इस वर्ष जन आंदोलनों की आएगी बाढ़

वहीं इस साल जगह-जगह आंदोलनों की बाढ़ सी आ सकती है, लेकिन इसके बावजूद सरकार अपने पराक्रम के साथ कई कार्यों पर जीत हासिल करेंगी। संवत्सर आधा बीतने के बाद ये आंदोलन नगण्य से हो जाएंगे। वहीं नवम्बर से फरवरी, मार्च 2022 में युद्ध की स्थिति ज्यादा बनती दिख रही है लेकिन यदि इसके बाद भी बनी तो दुनिया को भारत का पराक्रम देखने को मिलेगा, जिसके चलते भारत एक नए रूप में दुनिया को दिखेगा। इसका कारण भी मंगल ही होगा।

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