रोहतक में पांच साल से ठूंठ बना था सौ साल पुराना बरगद, एक पहल से फिर फूट आए पत्‍ते

पांच साल पहले बरगद का पेड़ पूरी तरह से ठूंठ बन गया था। गोवंश ने इसकी छाल को खा लिया था। कुछ लोगों ने कहा कि कहीं हादसा न हो जाए इसलिए इस पेड़ को कटवा दें। हालांकि समाजसेवी राजेश टीनू लुंबा ने पेड़ कटवाने से इन्कार कर दिया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 09:51 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 09:51 AM (IST)
रोहतक में पांच साल से ठूंठ बना था सौ साल पुराना बरगद, एक पहल से फिर फूट आए पत्‍ते
रोहतक में सौ साल पुराने बरगद के पेड़ को बचाने की समाजसेवी राजेश लुंबा ने शुरू की कवायद

अरुण शर्मा, रोहतक। इसे कहते हैं पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना। पहरावर स्थित नगर निगम की गोशाला के बाहर करीब सौ साल पुराने बरगद को बचाने की कवायद शुरू की गई है। पांच साल पहले बरगद का पेड़ पूरी तरह से ठूंठ बन गया था। गोवंश ने इसकी छाल को खा लिया था। पत्ते आते नहीं थे। कुछ लोगों ने कहा कि कहीं हादसा न हो जाए इसलिए इस पेड़ को कटवा दें। हालांकि समाजसेवी राजेश टीनू लुंबा ने पेड़ कटवाने से इन्कार कर दिया। पिछले साल इन्होंने पेड़ बचाने की कोशिश की। अब उसमें और सुधार किए तो परिणाम सुखद सामने आने लगे। अब ठूंठ बन चुके इस पेड़ से पत्ते अंकुरित होने लगे हैं।

समाजसेवी लुंबा ने बताया कि करीब पांच साल पहले गोशाला का संचालन करने के लिए मैं यहां आया। तब यह पेड़ पूरी तरह से ठूंठ की तरह खड़ा था। पिछले साल इस पेड़ को बचाने के लिए आखिरी प्रयास का विचार दिमाग में आया। लोगों की राय के बाद सबसे पहले पेड़ की जितनी छाल को गोवंश खा चुके थे वहां-वहां देसी गाय के गोबर का लेप लगाया। गोबर के पानी के मिश्रण का घोल देते रहे। इस साल बरसाती सीजन का इंतजार किया। यहां अब हमने पेड़ के चारो तरफ बाउंड्री करा दी। इससे गोवंश पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। यह भी बताया कि पेड़ की जड़ को चार-चार फीट मिट्टी से ढंक दिया गया है। इससे जड़ और मजबूत होंगी और छाल वाला हिस्सा कम हो जाएगा।

नीचे जलघर की गाद और ऊपर डाली मिट्टी और आने लगे पत्ते

बरगद को बचाने के लिए इन्होंने यह भी किया किया है कि चार-चार फीट पेड़ के चारो तरफ बाउंड्री कराई है। उसमें सबसे नीचे तल पर दो-दो फीट जलघर से निकलने वाली मिट्टी डलवाई है। ऊपर बालू और सबसे ऊपर मिट्टी आधा-आधा फीट डलवा दी है। इनका कहना है कि इससे जड़ों में ठंडक पहुंचेंगी। पेड़ की जड़ों तक पानी पहुंचेंगी और नमी भी अधिक रहेगी। कुछ दिनों बाद यहीं पर गुड़ और चीनी 10-10 किग्रा डालेंगे। इससे यहां चीटियां आएंगी और जड़ों तक पानी पहुंचेंगा।

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