रात ढाई बजे अपहृत हुआ 4 साल का बेटा घर लौटा तो खुशी से चहक उठी बदहवास मां
इकलौते लाडले को पाकर स्वजनों की जान में जान आई। स्वजनों ने प्यार से उससे पूछा। दिव्यांश ने बताया कि दो अंकल बाइक पर थे जो उसे दूर घर में ले गए थे। भूख लगी तो दो फ्रूटी भी दी। मम्मी की याद आई तो अंकल ने डांटा भी था।
कलानौर/रोहतक, जेएनएन। काहनौर गांव से किरयाना व्यापारी के बेटे का अपहरण बाइक सवारों बदमाशों ने किया था। जिस समय चार वर्षीय दिव्यांश घर पहुंचा तो वह मम्मी नीलम से लिपट गया। अपने इकलौते लाडले को पाकर स्वजनों की जान में जान आई। दिव्यांश को टॉफी दी गई, जिसके बाद पुलिस और स्वजनों ने प्यार से उससे पूछा। दिव्यांश ने बताया कि दो अंकल बाइक पर थे, जो उसे दूर घर में ले गए थे। उसे भूख लगी तो एक अंकल ने दो फ्रूटी भी दी। मम्मी की याद आई तो अंकल ने डांटा भी था।
हालांकि दिव्यांश बदमाशों के हुलिये के बारे में वह कुछ नहीं बता पा रहा। दिव्यांश करीब 14 घंटे तक बदमाशों के चंगुल में रहा। पुलिस ने आसपास के लोगों से भी पूछताछ की। एक पड़ोसी ने बताया कि उसने मकान के सामने सबमर्सिबल लगाया हुआ है। जैसे ही गली में उसके ऊपर से कोई वाहन गुजरता है तो उसमें आवाज होती है। रात करीब दो बजे भी आवाज सुनाई दी, जैसे कोई बाइक उस पर गुजरी हो। साथ ही गली में कुत्ते भी भौंक रहे थे। हालांकि जब बाहर निकले तो कुछ दिखाई नहीं दिया।
संयोग : चार बजे तक का अल्टीमेटम, चार बजे ही हुआ बरामद
दिव्यांश के अपहरण को जिस तरीके से अंजाम दिया कि उससे हर एंगिल पर नजदीकी की तरफ सुई घूम रही है। जिसे पुलिस की हर गतिविधि के बारे में पता था और परिवार के बारे में भी पूरी जानकारी रखे हुए थे। सुबह के समय ग्रामीणों ने बेरी मार्ग पर जाम लगा दिया था। इसके बाद वहां पर डीएसपी विनोद कुमार मौके पर पहुंचे थे। ग्रामीणों ने डीएसपी को शाम चार बजे तक का समय दिया था। लेकिन इसे संयोग कहे या फिर कुछ और। क्योंकि दिव्यांश भी करीब चार बजे के आसपास ही मिला। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि नजदीकी को पूरी जानकारी थी कि चार बजे के बाद मामला बढ़ सकता है। इसी वजह से पूरे योजनाबद्ध तरीके से बदमाश बच्चे को छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने कई नजदीकियों और आसपास के लोगों के नंबर जुटाए हैं, जिनकी कुंडली खंगाली जा रही है। ताकि मामले का पर्दाफाश हो सके।
पूरे जिले की पुलिस को गच्चा देकर बदमाश
पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है। बदमाशों ने घर में घुसकर व्यापारी के बेटे का अपहरण किया, जिसके बाद उसे किसी अन्य घर में लेकर गए। जिस जगह बच्चा मिला उसके आसपास कोई घर नहीं था। इससे साफ है कि बदमाश ही उसे वहां पर छोड़कर फरार हुए थे। हैरानी की बात यह है कि पूरे जिले की पुलिस बदमाशों के पीछे लगी हुई थी। जगह-जगह नाकाबंदी और चेङ्क्षकग भी की जा रही थी। फिर भी बदमाश पुलिस को चुनौती देते हुए घर से करीब साढ़े तीन किलोमीटर दूर पहुंचे और बच्चे को छोड़कर वहां से फरार भी हो गए। ऐसे में पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है कि जगह-जगह नाकाबंदी और चेङ्क्षकग के बाद भी बदमाश सड़कों पर घूमते रहे और गच्चा देकर फरार भी हो गए।
मंदिर में टेका मत्था
दिव्यांश के सकुशल मिलने के बाद परिवार के लोग सबसे पहले गांव में माता के मंदिर में लेकर गए। बाबा भोजासर की मजार पर भी मत्था टेका। साथ ही महंत लिली मंगलामुखी ने भी घर पहुंचकर बच्चे को आशीर्वाद दिया। नीलम ने खुश होकर महंत लिली को 31 हजार रुपये भी दिए।
शादी के 18 साल बाद हुई थी मन्नत पूरी, उजड़ गई थी दुनिया : नीलम
दिव्यांश की सकुशल बरामदगी के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। मां नीलम का कहना है कि दिव्यांश शादी के करीब 18 साल बाद हुआ था। मंदिर से लेकर अन्य धार्मिक स्थलों पर भी उसकी मन्नत मांगी थी, तब जाकर 18 साल बाद दिव्यांश का जन्म हुआ था। माता-पिता हर समय उसे अपने पास ही रखते थे। आंखों से ओझल होते ही वह बैचेन हो जाते थे। नीलम ने बताया कि बेटे के अपहरण के बाद उसकी दुनिया उजड़ गई थी, लेकिन भगवान ने उसकी सुन ली और लाडले को सकुशल घर भेज दिया।
नहीं किसी भी रंजिश : शंकरलाल
किरयाना व्यापारी शंकरलाल ने बताया कि उनका किसी से झगड़ा नहीं हुआ। वह अपने कारोबार में इतना व्यस्त रहते हैं कि उन्हें इधर-उधर की बातों का समय ही नहीं है। बेटे के अपहरण से अंदर ही अंदर टूट चुके थे, लेकिन पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों को हिम्मत देने के लिए खुद के आंसुओं को छिपाकर रखा। बेटे की बरामदगी के बाद ही सांस में सांस आई।
भिवानी के राहगीर का था फोन
चर्चा है कि परिवार के पास दोपहर के समय किसी अज्ञात नंबर से कॉल आई थी, जिसमें मोटी रकम मांगने की बात थी। जांच में पता चला कि जिस नंबर से फोन किया था वह बाइक सवार बदमाशों ने कलानौर बाईपास के पास से छीना था, जो किसी भिवानी के व्यक्ति का था। बदमाशों ने कॉल करने के लिए उससे फोन लिया और फिर वहां से लेकर भाग गए।
फुटेज देखकर दिव्यांश बोला, यही अंकल थे
कलानौर के पास से पुलिस ने बाइक सवार दो युवकों की फुटेज भी जुटाई है। आशंका जताई जा रही है कि बाइक सवार अपहरण करने वाले बदमाश हो सकते हैं। पुलिस ने बाइक सवारों की यह फुटेज भी दिव्यांश को दिखाई। कुछ देर तक देखने के बाद दिव्यांश अचानक बोल पड़ा है हां यही अंकल थे। इस पर पुलिस भी हरकत में आ गई। हालांकि कुछ देर बाद वह फिर से मना करने लगा। फिर भी पुलिस अपने स्तर पर गहनता से जांच कर रही है।
निगाना के जयपाल ने देखा था सबसे पहले
निगाना गांव निवासी जयपाल खेतों पर काम कर रहा था। तभी उसने दिव्यांश को सड़क किनारे रोते हुए देखा। इसी बीच कहानौर गांव का शंकर वहां पर आ गया। जयपाल ने उसे बच्चे के बारे में बताया। जिस पर शंकर ने गांव में प्रकाश को फोन कर बुलाया। तब जाकर प्रकाश बच्चे को घर लेकर आया और उसके स्वजनों को सौंपा। हालांकि यह कोई नहीं पता पा रहा कि बच्चा वहां पर कैसे आया। कौन उसे छोड़कर गया था।
इस तरह दिया अपहरण को अंजाम, शक के दायरे में नजदीकी
किरयाना व्यापारी शंकरलाल के मकान के मेन गेट की कुंडी लगा हुई थी। बदमाश दीवार फांदकर मकान के अंदर घुसे। जिसके बाद उन्होंने दूसरे दरवाजे में ऊंगली डालकर अंदर से उसकी कुंडी खोली। यहां से बदमाश सीधे व्यापारी के कमरे में पहुंचे और दोनों के बीच में सो रहे दिव्यांश को उठाकर ले गए। जाते समय बदमाश मेन गेट की कुंडी खोलकर ही बाहर निकले। पूरे घटनाक्रम को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह है कि बदमाशों को कैसे पता था कि दिव्यांश अपने माता-पिता के साथ सोता है या फिर अपनी दादी सत्यवती के कमरे में सोता है। दूसरा बड़ा सवाल यह है कि बदमाशों ने दिव्यांश को गोद में उठाया भी होगा, लेकिन फिर भी उसके माता-पिता को कुछ पता नहीं चला। आशंका यह भी है कि उनके ऊपर कुछ छिड़का गया हो। तीसरा और अहम सवाल यह है कि जिस तरीके से वारदात हुई है उससे लग रहा है कि कोई ना कोई नजदीक शामिल है। जिसे घर के हर कमरे और रास्ते के बारे में पूरी जानकारी थी। पुलिस भी इस तथ्य पर गहनता से जांच कर रही है।