पौधों के लिए पानी मिलते ही फिर शुरू होगा सिटी फारेस्ट का कार्य
पानी उपलब्ध होते ही अरावली की गोद में बसे गांव सकतपुर गैरतपुर बास एवं शिकोहपुर की लगभग हजार एकड़ भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित करने का कार्य फिर से शुरू कर दिया जाएगा।
आदित्य राज, गुरुग्राम
पानी उपलब्ध होते ही अरावली की गोद में बसे गांव सकतपुर, गैरतपुर बास एवं शिकोहपुर की लगभग हजार एकड़ भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित करने का कार्य फिर से शुरू कर दिया जाएगा। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) द्वारा एसटीपी का पानी उपलब्ध कराने की तैयारी जोरों पर चल रही है। उम्मीद है कि दो से तीन महीने में यह कार्य पूरा हो जाएगा।
वर्ष 2019 के दौरान तत्कालीन वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने अरावली की गोद में बसे तीन गांवों की भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित करने की घोषणा की थी। घोषणा के अनुरूप वन विभाग ने काम शुरू कर दिया था, लेकिन पानी की कमी आड़े आ गई थी। इसे देखते हुए एसटीपी का पानी तीनों गांवों तक पहुंचाने की दिशा में जीएमडीए ने प्रयास तेज कर दिया है। पानी उपलब्ध होते ही पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पानी की सुविधा उपलब्ध होने के बाद लगाए गए पौधों को जीवित रखना आसान होगा।
आसपास हैं कई प्राकृतिक तालाब
जहां पर सिटी फारेस्ट विकसित किया जाना है, उसके आसपास कई प्राकृतिक तालाब हैं। उनमें एसटीपी का पानी भर दिया जाएगा। यही नहीं इन तालाबों तक अरावली पहाड़ी का पानी पहुंचे, इसके ऊपर भी जोर दिया जाएगा। तालाबों में पानी भरने से जहां पौधों को पानी देना आसान होगा वहीं भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा। सिटी फारेस्ट को इस तरह विकसित किया जाएगा कि देश व दुनिया के लोग उसे देखने के लिए पहुंच सकें। उसमें न केवल नेचर ट्रेल, एडवेंचर जोन, औषधीय पौधों का गार्डन होगा बल्कि सीवर के शोधित पानी से झील भी विकसित किया जाएगा। इनके माध्यम से पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संदेश दिया जा सकेगा।
बता दें कि सिटी फारेस्ट के दायरे में ही लगभग 100 एकड़ भूमि पर लैपर्ड सफारी भी विकसित करने की योजना है। इसके लिए डीपीआर तैयार हो चुकी है। कोरोना संकट की वजह से इसके ऊपर भी काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। बताया जाता है कि जल्द ही इस दिशा में भी आगे की कार्यवाही फिर से शुरू की जाएगी। इसे उत्तर प्रदेश में इटावा की लायन सफारी की तर्ज पर विकसित करने की योजना है।
सिटी फारेस्ट के लिए सबसे पहले पानी की आवश्यकता है। केवल बारिश के पानी से पौधों को जीवित नहीं रखा जा सकता है। इसके लिए एसटीपी का पानी उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य तेजी से किया जा रहा है। पानी उपलब्ध होते ही आगे का काम तेज हो जाएगा।
-कर्मवीर मलिक, वन राजिक अधिकारी, गुरुग्राम