साइबर सिटी के बाजारों में परवान चढ़ा वोकल फार लोकल
साइबर सिटी के लोगों ने वोकल फार लोकल को शानदार ढंग से परवान चढ़ाने का काम किया है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम :
साइबर सिटी के लोगों ने 'वोकल फार लोकल' को शानदार ढंग से परवान चढ़ाने का काम किया है। बाजारों में नवरात्र से लेकर दीपावली तक जितनी भी खरीदारी हुई है उसमें चाइनीज उत्पादों की हिस्सेदारी आज तक के अपने सबसे न्यूनतम स्तर पर रही है। विभिन्न बाजारों के कारोबारियों का कहना है कि आइटम कोई भी हो अधिकतर ग्राहक यही पूछ कर खरीदारी करते रहे कि यह चाइनीज तो नहीं हैं। चीन की बनी इलेक्ट्रिक लड़ियों, पूजा से संबंधित आइटमों, देवी देवताओं की मूर्तियों, आर्टिफिशियल फूलों, होम डेकोरेशन से संबंधित आइटमों, इलेक्ट्रानिक्स, डिजाइनर दीयों तक से लोगों को परहेज किया। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार चीन को इस फेस्टिवल सीजन में 50 हजार करोड़ रुपये का झटका लगा है। इसमें गुरुग्राम के लोगों का भी योगदान है। इनका कहना है कि चीन जिस प्रकार से भारत विरोधी काम कर रहा है इससे देश भर में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका स्पष्ट असर चीन के बने उत्पादों पर साफ दिखाई दे रहा है।
दीपावली के दिन अपने घरों को रोशनी से सजाने के लिए मिट्टी के दीयों की खरीदारी तेजी से बढ़ी है। बाजार में इस बार मिट्टी के दिए खूब बिके। इनके विक्रेताओं का कहना है कि इस बार बाजार में मिट्टी के दीयों की लोगों ने खूब खरीदारी की है। सदर बाजार सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में बिक रहे मिट्टी के दीयों को खरीदने के लिए पिछले तीन दिन से बड़ी संख्या में लोग उमड़े। दीया बेचनी वाली सुनीता वर्मा बताती हैं कि जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनें हैं तब से मिट्टी के दीयों की खरीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। जो अच्छी बात है। इनका कहना है कि इस बार तो अच्छी खासी बिक्री हुई है। वहीं झाड़सा रोड पर मिट्टी के दीयों की दुकान लगाने वाले सचिन कुमार का कहना है कि इस बार सारे दिए बिक गए। ऐसा लगता है कि अब इनके प्रति लोगों का क्रेज बढ़ रहा है।
स्थानीय कारीगरों द्वारा परंपरागत दीयों के साथ कलरफुल, डिजाइनर और विभिन्न आकार के आकर्षक दीये डिजाइनर चाइनीज दीयों पर भारी पड़ गए। सदर बाजार पंचमुखी, श्रीफल, त्रिमुखी व सातिया दीयों की खूब बिक्री हुई। सातिया दीयों में सात से 21 बत्ती को एक सथ जलाया जा सकता है। आर्थिक मामलों में विशेषज्ञ प्रदीप मिश्रा का कहना है कि बाजार में जिस प्रकार से स्वदेशी का सिक्का चल रहा है उसे देखकर लग रहा है कि देश आत्मनिर्भर बनने की ओर मजबूती से आगे बढ़ने लगा है।