जैविक विधि से खेती की तरफ लगातार बढ़ रहा रुझान

जैविक तरीके से खेती की तरफ अब दिनों-दिन लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 04:38 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 04:38 PM (IST)
जैविक विधि से खेती की तरफ लगातार बढ़ रहा रुझान
जैविक विधि से खेती की तरफ लगातार बढ़ रहा रुझान

महावीर यादव, बादशाहपुर

जैविक तरीके से खेती की तरफ अब दिनों-दिन लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। केवल पढ़े लिखे लोग या जागरूक लोग ही जैविक विधि की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि किसानों ने भी अपना फोकस ही उस पर कर लिया है। जैविक तरीके से पैदा किए गए उत्पादों के लिए ज्यादा मार्केटिग की भी जरूरत नहीं पड़ रही हैं। जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ाने से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आया है। कोरोना काल के बाद लोग सेहत के प्रति बेहद संजीदा हो गए हैं। लोग स्वास्थ्य के साथ-साथ शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। 100-100 गज के टुकड़े किसान दे रहे हैं लीज पर

शहर के साथ लगते कई किसानों ने जहां जैविक खेती को अपना लिया है। वहीं कई किसान शहर में रहने वाले लोगों को 100-100 गज के टुकड़े अपने खेत में ही लीज पर उपलब्ध करा रहे हैं। बादशाहपुर से अरावली रिट्रीट की तरफ जाने वाले रोड पर टीकली व गैरतपुर बास गांव में काफी किसानों ने 100 से 500 वर्ग गज तक के छोटे-छोटे खेत बनाकर गुरुग्राम में बड़ी कंपनियों के निदेशक आदि बड़े लोगों को दे रखे हैं। एक नामी अस्पताल की डाक्टर ने नूरपुर गांव में जैविक तरीके से खेती कर रखी है। शहर में रहने वाले लोग इन खेतों के छोटे-छोटे टुकड़ों में अपनी मनपसंद सब्जी उगा रहे हैं। सप्ताहांत पर या सुबह शाम रोजाना चक्कर लगाकर सब्जी ले जाते हैं। अपने आस पड़ोस के लोगों को भी इस तरह की सब्जी देकर वे बड़ी खुशी महसूस कर रहे हैं। खरपतवार व कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव कर दिया कम

सब्जी उत्पादक किसान सब्जी के खेत में खरपतवार खत्म करने के लिए दवाइयों का छिड़काव कर देते थे। इसके साथ ही सब्जी के फूलों पर मंडराते खतरनाक कीटों से बचाव के लिए भी कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता था। जैविक तरीके से खेती का रुझान बढ़ने के साथ ही किसानों ने इस तरह की कीटनाशक दवाओं का प्रयोग भी बंद कर दिया है। भूमिगत जल स्तर काफी नीचा होने के कारण दीमक का भी फसल को नुकसान पहुंचाने में भूमिका होती है। अब केमिकल के बजाय अब दीमक को खत्म करने के लिए भी खेत में तंबाकू का छिड़काव किया जाने लगा है। मैंने दो एकड़ में पपीता लगाया है। वह पूरी तरह से रसायनमुक्त है। मार्केटिग करने की भी जरूरत नहीं पड़ रही है। उत्पादन के हिसाब से अधिक मांग आ रही है। खेत से ही अस्सी रुपये किलो पपीता बिक रहा है।

- पवन यादव, किसान, नूरपुर गांव कोरोना काल के बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक हुए हैं। मैंने काफी संख्या में जैविक तरीके से सब्जी और फल उत्पादन का काम शुरू किया है। मार्केटिग की कोई दिक्कत नहीं है। इससे किसान की आय निश्चित रूप से दोगुना हो रही है। गोबर की खाद में केचुआ डाल कर खाद तैयार करते हैं।

- विनीत कुमार, सब्जी उत्पादक

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