सफाई व्यवस्था बदहाल : करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं सुधर रही तस्वीर
निजी एजेंसियों की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर स्वछ नहीं बन पा रहा है। हर महीने लाखों रुपये के बिल सफाई के नाम पर मंजूर हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : निजी एजेंसियों की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर स्वच्छ नहीं बन पा रहा है। हर महीने लाखों रुपये के बिल सफाई के नाम पर मंजूर हो रहे हैं। लेकिन सड़कों के किनारे लगे कूड़े के ढेर हकीकत को बयां कर रहे हैं। अधिकारी शहर का दौरा कर खानापूर्ति कर रहे हैं। काम नहीं करने वाली निजी एजेंसियों के खिलाफ निगम अधिकारी भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सात निजी एजेंसियों को सफाई के ठेके दिए गए थे। शहर में लगभग साढे छह हजार सफाईकर्मी काम कर रहे हैं। नियमित रूप से कालोनियों और सड़कों में सफाई कार्य नहीं होने और कूड़े का उठान नहीं होने समस्या और ज्यादा बढ़ गई है।
इन जगहों पर हालात दुरुसत नहीं
-साउथ सिटी-1
-झाड़सा रोड
-कमला नेहरू पार्क के नजदीक सब्जी मंडी
-सेक्टर तीन में एक निजी स्कूल के सामने
-लघु सचिवालय रोड
-खांडसा
-खेड़कीदौला
-मोहम्मदपुर झाड़सा
गंदगी और दुर्गध से लोग परेशान
खाली प्लाटों और सड़कों किनारे लगे कूड़े के ढेरों की दुर्गंध के कारण स्थानीय नागरिकों को परेशानी हो रही है। पार्षद और आरडब्ल्यूए इस परेशानी को लेकर कई बार निगम अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में गुरुग्राम 24वें स्थान पर रहा है। अगर यही हालात रहे तो शहर स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल नहीं हो पाएगा।