दानदाताओं से मिली रकम से बनती है जरूरतमंद कन्याओं की गृहस्थी

न्यू कालोनी के गीता भवन मंदिर की प्रबंधन समिति धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सामाजिक व शैक्षिक गतिविधियां शुरू कर न केवल वंचितों को शिक्षित कर रही हैं बल्कि प्रबंधन समिति समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 07:30 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 07:30 PM (IST)
दानदाताओं से मिली रकम से बनती है जरूरतमंद कन्याओं की गृहस्थी
दानदाताओं से मिली रकम से बनती है जरूरतमंद कन्याओं की गृहस्थी

महावीर यादव, बादशाहपुर

अधिकांश मंदिर प्रबंधन धार्मिक उत्सव पर मंदिरों में धार्मिक आयोजन तक ही सिमट कर रह जाते हैं। न्यू कालोनी के गीता भवन मंदिर की प्रबंधन समिति धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सामाजिक व शैक्षिक गतिविधियां शुरू कर न केवल वंचितों को शिक्षित कर रही हैं, बल्कि प्रबंधन समिति समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गई है। मंदिर परिसर में एसडी माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल चलाया जा रहा है, जिसमें करीब 500 छात्र-छात्राएं निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसके अलावा जरूरतमंद लोगों के लिए निशुल्क औषधालय (डिस्पेंसरी) भी चलाया जा रहा है। मंदिर प्रबंधन समिति हर वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर जरूरतमंद परिवार की कन्याओं का सामूहिक विवाह कराती है।

गीता भवन मंदिर की स्थापना 1948 में करीब एक एकड़ भूमि में की गई। उस समय पंजाब के फिरोजपुर स्थित आयुध डिपो के 900 मीटर क्षेत्र से विस्थापित होकर आए परिवारों ने न्यू कालोनी में मंदिर का निर्माण किया था। मंदिर में जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी। उसी हिसाब से दान भी काफी मात्रा में आने लगा। इस दान को पुनीत कार्यों में लगाने के लिए प्रबंधन समिति ने फैसला लिया। मंदिर परिसर में ही कई वर्षों से रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। रामलीला के माध्यम से भी समिति के पास काफी चंदा एकत्रित होता है। दान की राशि से चलता है 12वीं तक स्कूल

गीता भवन मंदिर प्रबंधन समिति ने मंदिर में आने वाली दान राशि से वंचित परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत 1976 में की। पहले प्राथमिक स्कूल शुरू किया गया। धीरे धीरे एक स्कूल का दर्जा बढ़ाकर 12वीं तक कर दिया गया है। स्कूल का नाम सनातन धर्म (एसडी) माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल रखा गया है। इस समय इस स्कूल में 28 कमरे बने हुए हैं। 12वीं तक के करीब 500 छात्र-छात्राएं स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सभी छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। निशुल्क की जाती है मरीजों की देखभाल

गीता भवन मंदिर में एक डिस्पेंसरी की स्थापना की गई है। इस डिस्पेंसरी में रोजाना करीब सौ लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। हर शनिवार को लायंस क्लब की तरफ से आंखों की जांच भी की जाती है। जिन लोगों के आंखों के आपरेशन की जरूरत महसूस की जाती है। उनको लायंस क्लब की टीम दिल्ली ले जाकर निशुल्क आपरेशन भी करती है। इसके अलावा साल में दो बार मंदिर परिसर में ही आंखों के आपरेशन के कैंप लगाए जाते हैं। इन कैंपों में भी आसपास के काफी लोग अपनी आंखों की जांच कराकर आपरेशन कराते हैं। हर वर्ष कन्याओं की कराई जाती है शादियां

मंदिर परिसर में हर साल वसंत पंचमी के दिन 11 या 21 कन्याओं के सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है। सामूहिक विवाह में सभी कन्याओं को उनके घर में जरूरत का सभी सामान भी दिया जाता है। वर पक्ष की तरफ से आने वाली बारात का भी स्वागत किया जाता है। बारातियों की आवभगत का सारा जिम्मा भी मंदिर प्रबंधन समिति निभाती है। बारातियों के लिए बेहतर से बेहतर दावत दी जाती है। मंदिर का काम केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं है। सामाजिक कार्यों में भी मंदिर कमेटी के लोगों को आगे आना चाहिए। इसी सोच को लेकर सामाजिक कार्यों की शुरुआत की गई। मंदिर में आने वाले प्रतिवर्ष करीब 60 से 70 लाख रुपये के दान को सामाजिक और शैक्षणिक कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है।

- सुरेंद्र खुल्लर, अध्यक्ष, गीता भवन मंदिर मंदिर में धार्मिक कार्य तो लगातार चलते ही रहते हैं। समाज के वंचित वर्ग को सहायता मुहैया कराना सबसे बड़ी सेवा है। मंदिर में कई वर्षों से लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था भी चलाई जा रही है। मंदिर में आने वाला कोई भी व्यक्ति बिना प्रसाद के नहीं जाता है। लाकडाउन के बाद लंगर की व्यवस्था सुचारु नहीं है। फिर भी हमारा प्रयास रहता है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे।

- उदय भान ग्रोवर, महामंत्री, गीता भवन मंदिर

chat bot
आपका साथी