गुफा वाले मंदिर ने जरूरतमंदों के लिए शुरू की भोजन व्यवस्था, कोरोना संक्रमितों को भी भेजेंगे भोजन
कोरोना संक्रमण में विकराल रूप धारण कर लिया है। इस चेन को तोड़ने के लिए सात दिन का लाकडाउन लगा दिया गया है। शहर में काफी संख्या में ऐसे श्रमिक हैं। जो रोजाना अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। और परिवार का भरण पोषण करते हैं। लाकडाउन के दौरान ऐसे लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा होने की संभावना बढ़ गई है।
संवाद सहयोगी, बादशाहपुर: कोरोना काल में कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे। लाकडाउन में अधिकतर श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनके सामने भोजन की समस्या ना खड़ी हो। इस सोच को आत्मसात करते हुए राजीव नगर स्थित गुफा वाले शिव मंदिर ने जरूरतमंद लोगों को भोजन उबपलब्ध कराने के लिए हाथ बढ़ाए हैं। इसके साथ ही मंदिर में कोरोना संक्रमित परिवारों को भी भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाई है।
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर साध्वी आत्मचेतना व स्वामी सत्यानंद परमहंस ने बताया कि मंदिर में रोजाना भंडारा शुरू किया गया है। इस भंडारे में कोई भी व्यक्ति आकर भोजन पा सकता है। इसके अलावा मंदिर ने उन लोगों के लिए भी भोजन की व्यवस्था घर पहुंचाने की की है, जो कोरोना संक्रमित होकर घरों में आइसोलेट हैं। ऐसे लोग महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना के मोबाइल नंबर 9582170150 व स्वामी सत्यानंद परमहंस के मोबाइल नंबर 7817961706 पर एक दिन पहले सूचना देकर भोजन मंगा सकते हैं।
मंदिर का काम धर्म प्रचार के साथ-साथ मानव सेवा का भी है। मानव सेवा को ध्यान में रखते हुए मंदिर में रोजाना भंडारे का आयोजन किया गया है। एक भंडारे में कोई भी व्यक्ति भोजन ले सकता है।
स्वामी सत्यानंद परमहंस मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है। आज इस संकट के दौर में मनुष्य की सेवा करना सभी का फर्ज बनता है। कोई व्यक्ति भूखा ना रहे इसी बात को ध्यान में रखकर भंडारे का कार्यक्रम शुरू किया गया है।
साध्वी आत्म चेतना मंदिर में नवरात्रों के दौरान भी भंडारे का आयोजन चल रहा था। अब लाकडाउन लगने के बाद किसी भी व्यक्ति को भोजन न मिलने पर भूखा ना रहना पड़े। मंदिर प्रबंधन के साथ मिलकर इस काम को शुरू किया गया है।
मुकेश सतीजा, समाजसेवी शहर में झुग्गी झोपड़ियों में अनेक लोग ऐसे रहते हैं। जो रोजाना कमाते हैं और रोजाना खाते हैं। लाकडाउन के दौरान ऐसे लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। हमारा उद्देश्य यही है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे।
लवली सलूजा, समाजसेवी