शौर्य गाथा: सीने पर गोली खाकर भी आतंकवादी को ढेर कर दिया था सूबेदार मुकेश ने

हरियाणा की भूमि वीर रणबांकुरों की भूमि है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मां भारती की रक्षा करते हुए सबसे ज्यादा बलिदान इस प्रदेश के वीरों ने ही दिया। इनमें सूबेदार मुकेश कुमार का भी नाम शामिल है।

By Satyendra SinghEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 05:19 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 05:38 PM (IST)
शौर्य गाथा: सीने पर गोली खाकर भी आतंकवादी को ढेर कर दिया था सूबेदार मुकेश ने
सूबेदार मुकेश कुमार की फाइल फोटोः सौ. परिजन

महावीर यादव, बादशाहपुर (गुरुग्राम)।  हरियाणा की भूमि वीर रणबांकुरों की भूमि है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मां भारती की रक्षा करते हुए सबसे ज्यादा बलिदान इस प्रदेश के वीरों ने ही दिया। कारगिल से पहले या उसके बाद देश की रक्षा के लिए यहां के अनेक वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। ऐसे ही वीर थे सूबेदार मुकेश कुमार जिन्होंने आतंकवादियों मुकाबला करते हुए देश रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। उनके अदम्य साहस और पराक्रम को देखते हुए मरणोपरांत सेना मेडल से नवाजा गया। सूबेदार मुकेश कुमार का जन्म मानेसर तहसील के गांव कुकड़ोला (पचगांव) में मीर सिंह के घर हुआ। मीर सिंह भी सेना में सेवारत थे।

पिता को हमेशा सेना की वर्दी में देख मुकेश को भी देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होने की प्रेरणा मिली। बचपन से ही वह सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे। मुकेश कुमार का चयन कुमाऊं रेजिमेंट 50 राष्ट्रीय राइफल्स में हुआ। उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर में थी। 20 सितंबर 2007 को पुलवामा क्षेत्र में सूबेदार मुकेश कुमार अपने साथियों के साथ एक खुफिया मिशन पर थे। मिशन पर आगे बढ़ते हुए धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था। शाम करीब सात बजे सामने से दो आतंकियों ने उनकी टुकड़ी पर हमला कर दिया।

सूबेदार मुकेश कुमार ने उस समय पूरा हौसले का परिचय दिया। अपने दल पर आने वाले खतरे को भांपते हुए वे जान की परवाह किए बिना आतंकवादियों पर टूट पड़े। एक आतंकवादी को उन्होंने मार गिराया। दूसरा आतंकवादी लगातार गोली चला रहा था। मौके का फायदा उठाकर आतंकवादी दूसरी तरफ गहरे नाले में कूद गया। इन दो आतंकवादियों के अलावा अन्य आतंकवादी भी इधर-उधर छिपे हुए थे। धीरे-धीरे रात का अंधेरा होने लगा और भारी गोलाबारी के बीच सूबेदार मुकेश कुमार व उनके साथी वहां से निकलने में असमर्थ रहे। दूसरे दिन उजाला होने पर दूसरे आतंकवादियों की उनके दल ने तलाश शुरू की।

आतंकवादियों की तरफ से फिर गोली चलाई जाने लगी। मां भारती के जवानों ने तगड़ा जवाब दिया। आतंकवादी की एक गोली सूबेदार मुकेश कुमार के सीने में लगी, जिससे वह घायल हो गए। घायल होने के बाद भी उन्होंने दूसरे आतंकवादी को मौत के घाट उतार दिया। सूबेदार को उनके साथियों ने संभाला। गोली लगने के कारण उनके शरीर से काफी खून बह गया। अस्पताल ले जाते वक्त उन्होंने हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं। उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए सेना मेडल से अलंकृत किया गया।

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