स्ट्रीट वेंडिग घोटाला: जांच के नाम पर मोटी हो रही फाइल

शहर में स्ट्रीट वेंडिग का काम कर रही एजेंसियां नगर निगम को सात करोड़ रुपये का चूना लगा चुकी हैं। करीब चार माह पहले जब यह घोटाला उजागर हुआ तो निगम अधिकारियों ने इसकी जांच कर एजेंसियों पर एफआइआर दर्ज करवाने की बात कही थी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:39 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:39 PM (IST)
स्ट्रीट वेंडिग घोटाला: जांच के नाम पर मोटी हो रही फाइल
स्ट्रीट वेंडिग घोटाला: जांच के नाम पर मोटी हो रही फाइल

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: शहर में स्ट्रीट वेंडिग का काम कर रही एजेंसियां नगर निगम को सात करोड़ रुपये का चूना लगा चुकी हैं। करीब चार माह पहले जब यह घोटाला उजागर हुआ तो निगम अधिकारियों ने इसकी जांच कर एजेंसियों पर एफआइआर दर्ज करवाने की बात कही थी। लेकिन न तो कार्रवाई हुई और न ही इन एजेंसियों पर बकाया सात करोड़ रुपये वसूले गए हैं। जांच के नाम पर सिर्फ फाइल ही मोटी हो रही है। निगम की विजिलेंस विग इस मामले की जांच कर रही थी। जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन इन एजेंसियों पर कार्रवाई नहीं होने से निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

यह है मामला

नगर निगम ने वर्ष 2016 में जिन स्ट्रीट वेंडिग एजेंसी को तीन साल के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम सौंपा गया था, वह एजेंसी वर्क आर्डर (कार्य करने के आदेश) की समय-सीमा खत्म होने के डेढ़ साल बाद तक स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी वालों) से अवैध रूप से उगाही करती रही थीं। हर रेहड़ी वाले से 1500 रुपये महीना के हिसाब से अवैध रूप से वसूले गए, लेकिन निगम के खाते में यह राशि जमा नहीं कराई। स्ट्रीट वेंडिग एजेंसियों ने लगभग सात करोड़ रुपये नगर निगम में जमा नहीं करवाकर गड़बड़झाला किया। निगम अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी लिओ मीडियाकाम, एग्मैक और एसएसपीएल एजेंसी की ओर से सेक्टर 4, 14, 23, 32, 38, 44, 46 और 56 सहित कई सेक्टरों में रेहड़ियां लगाई गई थीं।

किराये पर भी दे दी रेहड़ियां

स्ट्रीट वेंडिग प्रोजेक्ट के तहत निजी एजेंसियों के माध्यम से रेहड़ी वालों को रेहड़ियां आवंटित की गई थी। लेकिन काफी लोगों ने रेहड़ियां लेकर आगे किराये पर दे दीं और किराया वसूलना शुरू कर दिया, जो कि नियम के खिलाफ है। निगम अधिकारियों के मुताबिक रेहड़ियों को किराये पर नहीं दिया जा सकता है। स्ट्रीट वेंडिग जोन का मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा। सात करोड़ रुपये जमा नहीं कराने वाली एजेंसियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी।

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