कारस्तानी खेल विभाग की, खामियाजा भुगतना पड़ा खिलाड़ियों को
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती मुक्केबाजी जूडो खेलों में किग्रा भार वर्ग में बदलाव होता रहता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर ओलिपिक कुश्ती जूडो मुक्केबाजी में जिस भार वर्ग को हटाया गया है पूर्व में उसी भार वर्ग में जीते गए पदक की मान्यता नहीं रह जाती है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
इसे विभाग के कुछ लोगों की मनमानी कहें या खेल नीति के प्रति अज्ञानता, खामियाजा तो खिलाड़ियों को ही भुगतना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, मुक्केबाजी, जूडो खेलों में किग्रा भार वर्ग में बदलाव होता रहता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर ओलिपिक कुश्ती, जूडो, मुक्केबाजी में जिस भार वर्ग को हटाया गया है, पूर्व में उसी भार वर्ग में जीते गए पदक की मान्यता नहीं रह जाती है। ऐसे खिलाड़ियों ने जब नौकरी के लिए आवेदन किए थे तब बिना नियम जाने खिलाड़ियों को नौकरी से वंचित रखा गया और अधिकारियों ने उन कर्मचारियों की कारस्तानी पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया। ऐसे कुछ मामलों में पहलवान सचिन और पूजा सिहाग के मामले शामिल हैं।
पहलवान सचिन:
सचिन पहलवान ने 2016 सीनियर कामनवेल्थ चैंपियनशिप में 98 किग्रा भार वर्ग में ग्रीको रोमन स्पर्धा में रजत पदक जीता था। उसी के आधार पर खेल विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया। 2018 में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) भार वर्ग का बदलाव किया गया और ओलिपिक में 98 के स्थान पर 97 किग्रा शामिल कर लिया। सचिन का कहना है कि जब उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया तब उन्हें कहा गया कि अब 98 किग्रा वजन ओलिपिक में शामिल नहीं है। बाद में खेल विभाग के अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि भारतीय कुश्ती संघ और साई से लिखवा कर दिया जाए कि यह आवेदन सही है। पहलवान ने खेल विभाग को संघ और साई से यह लिखवा कर दिया, लेकिन फिर भी नौकरी नहीं मिली। पूजा सिहाग:
पूजा सिहाग ने 2017 कामनवेल्थ चैंपियनशिप में 76 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक, 2019 में अंडर 23 एशियन चैंपियनशिप में रजत और 2021 सीनियर एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। पूजा ने कामनवेल्थ चैंपियनशिप 2017 के पदक के आधार पर हरियाणा खेल विभाग में प्रशिक्षक पद के लिए आवेदन किया तो खेल विभाग की तरफ से कहा गया कि यह वजन ओलिपिक में शामिल नहीं है। जब पूजा ने खेल विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया कि यह वजन ओलिपिक में शामिल है तो खेल विभाग अधिकारियों ने माना कि गलती हुई है। पूजा का कहना है कि उन्हें नौकरी आज तक नहीं मिली है। अब खेल विभाग ने उन्हें जवाब दिया है कि वर्ष 2021 फरवरी में नए नियम लागू हुए हैं जिसमें कामनवेल्थ चैंपियनशिप में पदक विजेता को नौकरी में शामिल नहीं किया जाता। पूजा का कहना है कि उन्होंने आवेदन भी 2017 में किया और नई नीति तीन साल बाद 2021 में आई है, तो इसमें उनका क्या दोष है।