तीन साल प्रतिबंध झेला, तीन पदक जीत की शानदार शुरु आत

खेलों में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई खिलाड़ी कुछ साल के प्रतिबंध बाद दोबारा मुकाबले में उतरे और पदक जीत पाए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 07:18 PM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 07:18 PM (IST)
तीन साल प्रतिबंध झेला, तीन पदक जीत की शानदार शुरु आत
तीन साल प्रतिबंध झेला, तीन पदक जीत की शानदार शुरु आत

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: खेलों में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई खिलाड़ी कुछ साल के प्रतिबंध बाद दोबारा मुकाबले में उतरे और पदक जीत पाए। गुरुग्राम खेल विभाग में तैराकी प्रशिक्षक पद पर कार्यरत अर्जुन अवार्डी पैरा तैराक प्रशांता कर्माकर ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि अन्य खिलाड़ियों के लिए भी नई मिसाल बन गई है।

तीन साल के प्रतिबंध के बाद कर्माकर की पहली प्रतियोगिता थी और इसमें एक रजत व दो कांस्य पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। कर्नाटक के बेंगलुरु में खेली गई 20वीं सीनियर राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में 50 मीटर फ्री स्टाइल स्पर्धा में कर्माकर ने रजत पदक जीता। इसके अलावा 50 व 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किए।

प्रशांता कर्माकर का रहा है शानदार रिकार्ड

प्रशांता 2011 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हुए। 2003 विश्व चैंपियनशिप में एक कांस्य पदक, 2006 एशियन खेलों में एक कांस्य पदक और 2007 व‌र्ल्ड गेम्स में दो स्वर्ण, दो रजत, एक कांस्य पदक जीता। 2009 व‌र्ल्ड गेम्स में चार स्वर्ण पदक, दो रजत, एक कांस्य पदक और 2010 एशियन खेलों में एक रजत व एक कांस्य और 2010 कामनवेल्थ खेलों में एक कांस्य के अलावा 2014 एशियन खेलों में 2 कांस्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। भारतीय पैरालंपिक कमेटी का तीन साल का प्रतिबंध लगा था और पिछले माह मैं प्रतिबंध से मुक्त हो गया। मैंने प्रतिबंध लगने के बाद भी प्रशिक्षण नहीं छोड़ा। खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के साथ स्वयं भी प्रशिक्षण जारी रखा। मेरा यही कहना है कि अगर खिलाड़ी को वापसी करनी है तो प्रशिक्षण से दूर ना रहे और हार ना माने।

प्रशांता कर्माकर, पदक विजेता खिलाड़ी

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