दिली इच्छा है नेताजी को मिले राष्ट्रपिता गांधी के बराबर दर्जा

जंग-ए-आजादी के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र के गनर रहे वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगराम की दिली इच्छा है कि नेताजी को राष्ट्रपतिा महात्मा गांधी के बराबर का दर्जा मिले। ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में ही हो सकता है। यदि मोदी सरकार में नेताजी को सम्मान नहीं मिला फिर आगे मुश्किल है। नरेंद्र मोदी में निर्णय लेने की क्षमता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 07:03 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 07:03 PM (IST)
दिली इच्छा है नेताजी को मिले राष्ट्रपिता गांधी के बराबर दर्जा
दिली इच्छा है नेताजी को मिले राष्ट्रपिता गांधी के बराबर दर्जा

आदित्य राज, गुरुग्राम

जंग-ए-आजादी के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस के गनर रहे वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगराम की दिली इच्छा है कि नेताजी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बराबर का दर्जा मिले। ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में ही हो सकता है। यदि मोदी सरकार में नेताजी को सम्मान नहीं मिला फिर आगे मुश्किल है। नरेंद्र मोदी में निर्णय लेने की क्षमता है।

बुधवार को सेक्टर-15 पार्ट-एक स्थित अपने निवास स्थान पर दैनिक जागरण से बातचीत में जगराम ने कहा कि वह 97 साल के हो चुके हैं। अब कभी भी जिदगी की डोर टूट सकती है। अब तो बस एक ही इच्छा है कि नेताजी को वह सम्मान मिल जाए, जिसके वह हकदार हैं। देश की आजादी में उनसे अधिक योगदान किसी का नहीं। उन्हें उनके योगदान के हिसाब से महात्मा गांधी से भी ऊपर का दर्जा मिलना चाहिए लेकिन देश की राजनीतिक हालात के हिसाब से यह संभव नहीं। कम से कम बराबर का तो दर्जा मिलना चाहिए। राजनीतिक षड़यंत्र के तहत उनके नाम को मिटाने का प्रयास किया गया है। आजादी के बाद वर्षों तक उनका नाम लेने से भी लोग डरते थे। क्या दोष था नेताजी का। जिस महानायक के व्यक्तित्व से पूरी दुनिया प्रभावित थी, उसे अपनी धरती पर ही उचित सम्मान नहीं। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि जो राष्ट्र अपने संस्कृति को भूला देता है, अपने महापुरुषों को याद नहीं करता है या अपने महापुरुष को उचित सम्मान नहीं देता है, उस राष्ट्र का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। अभी भी समय है नेताजी को उचित सम्मान दिया जाए। उनके कृतित्व व व्यक्तित्व के बारे में देश ही नहीं पूरी दुनिया को बेहतर तरीके से जानकारी दी जाए।

13 महीने तक नेताजी के साथ रहे

वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगराम कहते हैं कि वह 13 महीने नेताजी के गनर रहे। उस दौरान के एक-एक पल अभी भी स्मरण है। ऐसा व्यक्तित्व आज तक पूरी दुनिया में नहीं देखा। जो सामने आता था वह उनका होकर रह जाता था। उस समय दुनिया का कोई भी शासक ऐसा नहीं था जो नेताजी से प्रभावित नहीं था। सभी उनसे मिलने के लिए ललायित रहते थे। अंग्रेज यदि भागने को मजबूर हुए तो नेताजी द्वारा तैयार किए गए माहौल से। अंग्रेजों को लगा कि यदि नहीं भागे तो खुद की जमीन भी नहीं बचेगी। आजादी में नेताजी का योगदान सबसे अधिक इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के पटल पर अंग्रेजों को नेताजी ने ही ललकारा था। चार से पांच बजे तैयार हो जाते थे

स्वतंत्रता सेनानी जगराम कहते हैं कि सर्दी हो या गर्मी, नेताजी सुबह चार से पांच बजे के बीच तैयार हो जाते थे। कई बार तीन बजे भी तैयार हो जाते थे। उनसे ही प्रेरित होकर वह भी इस उम्र में भी चार से पांच बजे के बीच तैयार हो जाते हैं। जिस दिन किसी कारणवश देरी हो जाती है तो मन में बहुत ग्लानी होती है। वह देश के सभी युवाओं से कहना चाहते हैं कि सूर्योदय से पहले हर हाल में स्नान करके तैयार हो जाओ। आपको महसूस होगा कि दिन कितना बड़ा है। नेताजी कहा करते थे ईश्वर ने जीवन आराम करने के लिए नहीं राष्ट्र को कुछ देने के लिए दिया है।

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