काम बढ़ते ही वस्त्र उद्योग को सताने लगी कामगारों की कमी

साइबर सिटी के वस्त्र उद्योग (गारमेंट इंडस्ट्री) हब में एक बार फिर से रौनक आने लगी है। यहां स्थित औद्योगिक इकाइयों को विदेश से भरपूर आर्डर मिलने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:32 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:32 PM (IST)
काम बढ़ते ही वस्त्र उद्योग को सताने लगी कामगारों की कमी
काम बढ़ते ही वस्त्र उद्योग को सताने लगी कामगारों की कमी

यशलोक सिंह, गुरुग्राम

साइबर सिटी के वस्त्र उद्योग (गारमेंट इंडस्ट्री) हब में एक बार फिर से रौनक आने लगी है। यहां स्थित औद्योगिक इकाइयों को विदेश से भरपूर आर्डर मिलने लगे हैं। दो तिहाई से अधिक आर्डर उन्हें अमेरिका और यूरोप के देशों से प्राप्त हो चुके हैं। दीपावली तक इनके शतप्रतिशत स्तर तक पहुंचने की पूरी संभावना है।

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण वस्त्र निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में फिर से गाड़ी पटरी पर आने से वह अब खूब उत्साहित हैं। इनका कहना है कि आर्डर से संबंधी चिता समाप्त होने के बाद अब कामगारों की कमी तकलीफ बढ़ाने लगी है। फिलहाल अभी वस्त्र उद्योग से संबंधित औद्योगिक इकाइयों को कम कामगारों से ही काम चलाना पड़ रहा है।

बता दें कि गुरुग्राम में लगभग 1200 वस्त्र विनिर्माण एवं निर्यात से संबंधित औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें लगभग डेढ़ लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर से रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग इनके लिए जाब वर्क करते हैं। वस्त्र उद्योग से संबंधित औद्योगिक इकाइयों में लगभग 60 प्रतिशत कामगार बिहार राज्य के होते हैं। इस समय वहां विधानसभा चुनाव का अभियान चल रहा है, जिसके कारण अधिकतर कामगार अभी नहीं लौट पा रहे हैं। उद्यमियों की ओर से उन्हें लगातार बुलाया जा रहा है। सभी यही कह रहे हैं कि वह चुनाव के बाद ही लौटेंगे। उद्योग विहार स्थित वस्त्र उद्योग से संबंधित औद्योगिक इकाई के संचालक अभिनव चंद्र का कहना है कि उनके यहां काम करने वाले अधिकतर कामगार बिहार से हैं। जो चुनाव के कारण अभी नहीं आ पा रहे हैं। इनके आने के बाद ही ठीक से काम शुरू हो पाएगा।

उत्तर प्रदेश और झारखंड से कामगारों के आने का सिलसिला जारी है। फिलहाल टेलरों से लेकर पैकिग करने वाले तक कर्मचारियों की काफी कमी है। यही कारण है कि विदेश से मिलने वाले आर्डर को तय समय में पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि फैक्ट्रीयों में मौजूद कर्मचारी अपनी पूरी दक्षता के साथ काम कर रहे हैं। वस्त्र उद्योग में कटिग मास्टर, टेलर मास्टर, सिलाई करने वाले, काज बनाने वाले, वाशिग मास्टर, फिनिशिग सुपरवाइजर, प्रेस मैन, धागा कटिग, चेकर, फोल्डिग वाले और पैकिग के काम से संबंधित कर्मचारियों की जरूरत होती है। इन सभी के होने पर ही आर्डर को पूरा किया जा सकता है। इस समय सिलाई करने वालों की भारी कमी है। वस्त्र निर्यातकों के अच्छे दिन आने लगे हैं। विदेश से मिलने वाले आर्डर में तेजी आ रही है। अभी तक दो तिहाई से अधिक आर्डर आ चुके हैं। इस समय सबसे बड़ी चिता का विषय कामगारों की कमी है।

आनंद सतीजा, प्रबंध निदेशक, आकाश गारमेंट वस्त्र उद्योग की सेहत में लगातार सुधार हो रहा है। अमेरिका और यूरोप से आर्डर मिल रहे हैं। इस समय जो सबसे बड़ी समस्या आ रही है वह कामगारों की कमी। उम्मीद है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद इस मामले में स्थिति बेहतर होगी।

सत्येंद्र सिंह, महाप्रबंधक, ईस्ट वेस्ट

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