शौर्य गाथा : सीने में गोली लगने के बावजूद लड़ते रहे थे सुखबीर

कारगिल युद्ध में लांस नायक सुखबीर सिंह द्रास सेक्टर में तैनात थे। जून 1999 में इस सेक्टर में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों में भयंकर युद्ध हुआ था। पाकिस्तानी सैनिक घात लगाकर हमले कर रहे थे। 13 जून को पाकिस्तानी सैनिकों ने फायरिग कर दी थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 07:07 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 07:07 PM (IST)
शौर्य गाथा : सीने में गोली लगने के बावजूद लड़ते रहे थे सुखबीर
शौर्य गाथा : सीने में गोली लगने के बावजूद लड़ते रहे थे सुखबीर

जागरण संवाददाता, गोहाना (सोनीपत): कारगिल युद्ध में लांस नायक सुखबीर सिंह द्रास सेक्टर में तैनात थे। जून, 1999 में इस सेक्टर में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों में भयंकर युद्ध हुआ था। पाकिस्तानी सैनिक घात लगाकर हमले कर रहे थे। 13 जून को पाकिस्तानी सैनिकों ने फायरिग कर दी थी। सुखबीर सिंह ने साथियों को बचाने के लिए तत्काल जवाबी फायरिग शुरू की और पाक सैनिकों की तरफ दौड़ पड़े थे। उसी दौरान उनके सीने में गाली लगी और घायल हो गए। घायल होने के वे बावजूद लड़ते रहे थे और पाकिस्तानी सैनिकों को पीठ दिखाकर भागने को मजबूर कर दिया था। उन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए शहादत दी।

गोहाना में गांव रुखी के सुखबीर सिंह का जन्म एक अप्रैल 1976 को हुआ था। वे करीब 18 साल की उम्र में 27 दिसंबर 1994 को सेना में भर्ती हो गए थे। कारगिल युद्ध में उनकी ड्यूटी द्रास सेक्टर में थे। वे 13 जून 1999 को शहीद हो गए थे लेकिन शहादत से पूर्व उन्होंने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सैनिकों को पीठ दिखा कर भागने पर मजबूर कर दिया था। ग्रामीण और परिवार वाले उनकी शहादत पर गर्व करते हैं। साथियों को भी सेना में भर्ती होने को करते थे प्रेरित

सुखबीर सिंह में बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा भरा था। करीब 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए। वे जब भी छुट्टी आते थे तो साथियों को भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करते थे। आज भी परिवार वाले और गांव के लोग सुखबीर सिंह की शहादत को याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। पत्नी चंदा देवी कहती हैं कि उनके पति सुखबीर सिंह हमेशा कहा करते थे वे देश के लिए कुर्बानी देने से कभी पीछे नहीं हटेंगे और देश के दुश्मनों के छक्के छुड़ा देंगे। 21 साल की उम्र में छूट गया था पति का साथ

सुखबीर सिंह जब शहीद हुए तब उनकी पत्नी चंदा देवी की उम्र करीब 21 साल की थी। उस समय उनका एक बेटा आशीष था और दूसरा बेटा गर्भ में था। जन्म के बाद दूसरे बेटे का नाम गौरव रखा गया। युवावस्था में ही पति नहीं रहने के बाद चंदा देवी ने विकट परिस्थितियों में दोनों बेटों की बेहतर परवरिश की। आशीष पुलिस में एसआइ भर्ती होने के तैयारी कर रहे हैं। वहीं गौरव दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।

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