स्कूल भवन की मरम्मत कराने तथा शिक्षक बढ़ाने की मांग
गांव चमनपुरा के प्राथमिक स्कूल की इमारत इतनी जर्जर है कि बारिश होने पर कमरों की छत से पानी टपकता है। इमारत कभी भी गिर सकती है। स्कूल में कक्षा एक से पांच तक सौ बच्चे हैं। सभी को पढ़ाने के लिए एक ही अध्यापक की नियुक्ति है।
संवाद सहयोगी, सोहना: सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गांव-गांव नए स्कूल खोल रही है, मगर जो स्कूल पहले से खुले हुए हैं उनका ध्यान नहीं रख जा रहा है। सोहना विधानसभा क्षेत्र के गांव चमनपुरा के प्राथमिक स्कूल की इमारत इतनी जर्जर है कि बारिश होने पर कमरों की छत से पानी टपकता है। इमारत कभी भी गिर सकती है। स्कूल में कक्षा एक से पांच तक सौ बच्चे हैं। सभी को पढ़ाने के लिए एक ही अध्यापक की नियुक्ति है, जबकि कम से कम तीन अध्यापक होने चाहिए। ऐसे में लाजिमी है कि गांव के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के प्रति चितित होंगे।
दावे बड़े-बड़े होते हैं पर जमीन पर कुछ नहीं दिखाई देता। जर्जर इमारत होने के चलते लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं। स्कूल के प्रति किसी का ध्यान नहीं है।
कल्याण सिंह भारत
हमारे पास इतना पैसा नही हैं जो निजी स्कूल में पढ़ा सकें। सरकारी स्कूल में कोई साधन नहीं। ऐसे हालात में बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं। एक ही शिक्षक के सहारे स्कूल चल रहा है।
सोनपाल सरकार एक ओर तो बच्चों को शिक्षा के तमाम संसाधन उपलब्ध कराने के आए दिन दावे करते नही थकती वही दूसरी ओर हकीकत ये हैं की वर्षों बाद स्कूल में अध्यापक तक की नियुक्ति नहीं हुई, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
कंवरपाल एक अध्यापक को बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूल के सभी काम करने पड़ते हैं। कमरे जर्जर हैं कि सरकारी धनराशि भी नहीं आई जिससे मरम्मत कराई जा सके। प्रशासन को स्कूल के बारे में गंभीर होना चाहिए।
मुकेश कुमार