संस्कारशाला: बच्चों के सामने उदाहरण पेश कर उन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं

मनुष्य तथा पर्यावरण एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं। उन्हें अलग करना असंभव है। जिस प्रकार एक पहिये पर गाड़ी नहीं चल सकती उसी प्रकार पर्यावरण के बिना मानव जीवन असंभव है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:28 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:28 PM (IST)
संस्कारशाला: बच्चों के सामने उदाहरण पेश कर उन्हें 
पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं
संस्कारशाला: बच्चों के सामने उदाहरण पेश कर उन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं

'जहां न पेड़-पौधे हैं, न पक्षी हैं,

न हरियाली है, वहां जीवन

केवल एक बोझ है।'

मनुष्य तथा पर्यावरण एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं। उन्हें अलग करना असंभव है। जिस प्रकार एक पहिये पर गाड़ी नहीं चल सकती, उसी प्रकार पर्यावरण के बिना मानव जीवन असंभव है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया है। मानव जीवन को हमेशा मूर्त या अमूर्त रूप में पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्र, नदी, वृक्ष एवं पशु-पक्षी आदि के सहचर्य में ही देखा गया है। हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति, पेड़-पौधे, नदी, पहाड़ आदि को देवी-देवताओं का दर्जा दिया था। वेदों एवं ग्रंथों में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनियों ने नित्य यज्ञ की परंपरा अपनाई थी, वहीं वृक्ष लगाने को पुण्य कार्य माना गया है। इसी कारण गांवों में आज भी लोग बरगद व पीपल का पेड़ नहीं काटते हैं। इससे हमें शिक्षा लेनी चाहिए और अपने बच्चों को इन परंपराओं के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है और हम जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं। इससे हमारे शरीर में कई विकृतियां पैदा हो रही हैं, कई तरह की बीमारियां विकसित हो रही हैं। वो दिन दूर नहीं है, अगर पर्यावरण इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी इस प्रदूषण में विलीन हो जाएगी। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा भी अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए जैसे- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 पास किया गया। इस कानून की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पहली बार व्यक्तिगत रूप से नागरिकों को इस कानून का पालन न करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ केस दर्ज करने का अधिकार प्रदान किया गया। हमें कभी यह सोच नहीं रखनी चाहिए कि पर्यावरण की सुरक्षा का दायित्व केवल सरकार के ऊपर है। यह सोच बिलकुल गलत है। प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य समझना चाहिए। पर्यावरण सुरक्षा और उसमें संतुलन हमेशा बना रहे इसके लिए हमें जागरूक और सचेत रहना होगा। हर प्रकार के हानिकारक प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, इन सब खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिए अगर हम धीरे-धीरे भी प्रयास करें तो धरा सुंदर बन सकती है। आज पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य और जिम्मेदारी है। पर्यावरण संरक्षण को हानि पहुंचाने वाली चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए। बच्चों के सामने उदाहरण पेश कर उन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना शिक्षकों और अभिभावकों का कर्तव्य है।

- नीति कौशिक, प्राचार्य, माउंट ओलंपस स्कूल

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पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए हैं इसका सम्मान जरूरी

हमारे आसपास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और उत्साह का संचार होने लगता है। फिर भी यह अफसोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए और मानव ने भी उनका भरपूर उपयोग किया। जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया।

पर्यावरण संरक्षण में कई लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। चिपको आंदोलन पर्यावरण-रक्षा का आंदोलन था। विद्यार्थियों को इन बातों से अवगत कराना चाहिए। उन्हें पर्यावरण को लेकर जागरूक करना हम शिक्षकों और अभिभावकों का फर्ज है। पर्यावरण संरक्षण का मतलब केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि उन पौधों के लिए माहौल देना, उन्हें बचाना और स्वस्थ रखना भी हमारा कर्तव्य है। शहरीकरण में गावों से भी हरियाली खत्म होती जा रही है। चारदीवारी से घिरे विशाल परिसर के बीच बड़े-बड़े भवन हरियाली को जगह ही नहीं दे रहे हैं। धरा को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण करना हमारी जरूरत बन गई है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को ऐसे प्रोजेक्ट से जोड़ना चाहिए। भावी पीढ़ी को इन चीजों के प्रति अगर संवेदनशील नहीं बनाएंगे तो वह प्रकृति का मोल समझ नहीं पाएंगे। उन्हें इस बात का अहसास दिलाना होगा कि प्रकृति है तो जीवन है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कई छोटी-बड़ी चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों से निपटने के उपाय हमें करने होंगे। पौधे लगाएं, उनकी देखभाल करें और उन्हें बेहतर माहौल दें ताकि वे पनप सकें। सड़कों के किनारे, घरों के आसपास, खाली मैदानों में पेड़ लगाने के संकल्प लें। मौसम परिवर्तन, तमाम तरह परेशानियां और यहां तक कि सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। पिछले दो वर्षों में बदले माहौल ने हमें अपनी जड़ों से जुड़ने की जरूरत को बखूबी समझा दिया है। ऐसी विपदाएं न आएं, इसलिए हमें प्रकृति के संहार को रोकना होगा।

अब प्रकृति का न करें हरण,

चलिए मिलकर बचाएं पर्यावरण। - निधि कपूर, प्राचार्य, यूरो इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर-10

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