'सुख हो या दुख, राष्ट्र सर्वोपरि' का ध्येय बनाकर पर्यावरण प्रहरी बने रोहित मदान
कहते हैं कि अगर सुधार का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अक्सर लोग यह सोचकर पीछे हट जाते हैं कि उनके अकेले के करने से कितना बदलाव आ सकता है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कहते हैं कि अगर सुधार का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अक्सर लोग यह सोचकर पीछे हट जाते हैं कि उनके अकेले के करने से कितना बदलाव आ सकता है। ऐसे लोगों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं शहर के रोहित मदान। द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय के छात्र रोहित मदान ने केवल कालेज बल्कि आसपास के इलाकों और विभिन्न सोसायटियों में जाकर पौधारोपण किया। उन्होंने लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक भी किया।
महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक रोहित मदान यह काम वर्ष 2013 से कर रहे हैं। उन्होंने अभी तक कई पौधारोपण अभियान चलाए हैं। इस अभियान के तहत अभी तक पांच हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। अभी तक उन्होंने सभी प्रकार के पौधे रोपें लेकिन अब वह शहर में विभिन्न जगहों पर त्रिवेणी लगाने की मुहिम चलाएंगे। रोहित का कहना है कि कोरोना महामारी में आक्सीजन की कमी के कारण काफी समस्या आई है। अपनी जान-पहचान के लोगों को आक्सीजन की कमी के कारण खो दिया है। इसलिए अब त्रिवेणी लगाने की मुहिम शुरू की जाएगी। यह मुहिम शहर व गांव समेत स्लम बस्तियों में भी चलाई जाएगी।
सुख हो या दुख, राष्ट्र सर्वोपरि मुहिम की शुरुआत
रोहित मदान का कहना है कि उन्होंने शहर की सड़कों के किनारे, सोसायटियों में, पार्कों में और ग्रामीण अंचल में जाकर भी उन्होंने पौधारोपण अभियान चलाया है। गुरुग्राम रेलवे स्टेशन के समीप की जमीन को स्थानीय युवाओं व बुजुर्गों के विशेष सहयोग से साथ मिलकर हरा भरा बनाया है। अब उन्होंने 'सुख हो या दुख, राष्ट्र सर्वोपरि' अभियान की शुरुआत की है जिसके तहत जन्म व मृत्यु पर अभी तक दो हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। रोहित मदान का कहना है कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह था कि यदि हम मृत्यु और जन्म के उपरांत पौधारोपण करते हैं तो उस बढ़ते पौधे के साथ-साथ अपने व्यक्ति की यादें भी ताजा होती रहती हैं। उनकी पर्यावरण संरक्षण की इस पहल को लेकर वर्ष 2019- 20 के जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ युवा पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।