प्रिस हत्याकांड: प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल

प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की संस्तुति नहीं देने के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर दी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 05:25 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 05:25 PM (IST)
प्रिस हत्याकांड: प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल
प्रिस हत्याकांड: प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त बिरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद के खिलाफ मुकदमा चलाने की संस्तुति नहीं देने के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर दी। अर्जी के साथ सीबीआइ द्वारा पेश चालान की कापी भी पेश की गई है।

उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल करने के बाद फोन से बातचीत में पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने कहा कि सीबीआइ द्वारा पेश चालान में स्पष्ट तौर पर चारों पुलिस अधिकारियों को तथ्यों के खिलाफ छेड़छाड़ करने का आरोपित माना गया है। यहां तक कहा गया है कि केस डायरी के साथ भी छेड़छाड़ की गई। बस सहायक को फंसाने के लिए गलत दस्तावेज तैयार किए गए। आठ सितंबर 2017 को वारदात हुई थी जबकि केस डायरी 11 सितंबर 2017 को लिखी गई। डरा-धमकाकर बस सहायक को बयान देने के लिए मजबूर किया गया।

आरोपित भोलू ने वारदात से एक दिन पहले यानी सात सितंबर को चाकू की खरीदारी सोहना मार्केट से की थी। बस सहायक को फंसाने के लिए चाकू बस के टूल बाक्स में होने की बात सामने लाई गई। इतने साक्ष्य होने के बाद भी प्रदेश सरकार ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संस्तुति देने से इनकार कर दिया। सीबीआइ की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। प्रिस हत्याकांड से जुड़े सभी आरोपितों को सजा दिलाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।

बता दें कि सोहना रोड स्थित एक नामी स्कूल में प्रिस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) नामक छात्र की आठ सितंबर 2017 को गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। वारदात के कुछ ही देर बाद गुरुग्राम पुलिस ने स्कूल के एक बस सहायक को आरोपित मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था लेकिन सीबीआइ ने अपनी जांच में गुरुग्राम पुलिस की जांच को हर स्तर पर गलत ठहराते हुए बस सहायक को निर्दोष माना। यही नहीं सीबीआइ ने आरोपित के रूप में स्कूल के ही छात्र भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की पहचान की। तब से भोलू न्यायिक हिरासत में है। मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपितों के खिलाफ सीबीआइ द्वारा पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में चालान दाखिल कर दी गई लेकिन मुकदमा चलाने के लिए संस्तुति देने से प्रदेश सरकार ने इनकार कर दिया।

आरोपित भोलू की जमानत पर सुनवाई आज

जब गुरुग्राम पुलिस की जांच सही फिर भोलू आरोपित कैसे, यह तर्क देते हुए बचाव पक्ष ने गुरुग्राम जिला अदालत में जमानत की अर्जी लगाई है। इसके ऊपर मंगलवार को सुनवाई होगी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता संदीप अनेजा कहते हैं कि प्रदेश सरकार ने अपने फैसले से मान लिया है कि गुरुग्राम पुलिस की जांच सही दिशा में थी। ऐसे में आरोपित भोलू नहीं बल्कि बस सहायक है। जब आरोपित भोलू है ही नहीं फिर उसे जमानत मिलनी चाहिए। इधर, प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की संस्तुति देने से इनकार करने के बाद अब हर व्यक्ति असमंजस की स्थिति में है। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर आरोपित भोलू है या फिर बस सहायक। इसे देखते हुए जिला अदालत में होने वाली सुनवाई पर हर किसी की नजर टिकी है।

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