पराली के धुएं के बिना भी वातावरण रहता है जहरीला

पराली जलने से शहर में वायु प्रदूषण बढ़ता है लेकिन गुरुग्राम में बिना पराली जलने पर भी सामान्य से ज्यादा प्रदूषण रहता है। जिले में पिछले कई वर्षो से कई तरह की बीमारी का खतरा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 06:35 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:35 PM (IST)
पराली के धुएं के बिना भी वातावरण रहता है जहरीला
पराली के धुएं के बिना भी वातावरण रहता है जहरीला

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: वायु प्रदूषण जीवन के लिए खतरा है और गुरुग्राम देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। पराली जलने से शहर में वायु प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन गुरुग्राम में बिना पराली जलने पर भी सामान्य से ज्यादा प्रदूषण रहता है। जिले में पिछले कई वर्षो से कई तरह की बीमारी का खतरा है।

डाक्टरों का कहना है कि शहर में वातावरण स्वच्छ नहीं हुआ तो बच्चों से लेकर बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा बढ़ रहा है। वर्ष 2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में गुरुग्राम को देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया था। यही नहीं, 2019 में डब्ल्यूएचओ ने देश के देश के 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में गुरुग्राम को भी शामिल किया था। इसी वर्ष अमेरिका के पर्यावरण संरक्षण अभियान चलाने वाले संगठन ग्रीन पीस ने गुरुग्राम को देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया। गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर

पिछले 6-7 वर्ष का रिकार्ड देखा जाए तो वायु गुणवता सूचकांक (एक्यूआइ) सामान्य 50 पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कई गुणा ज्यादा दर्ज किया जाता रहा है। गुरुग्राम में एक्यूआइ 300 पीएम 2.5 के आसपास रहना आम बात है और इसी दौरान कई बार 400 पीएम 2.5 तक दर्ज किया जाता रहा है। कई बार सर्दी के मौसम में एक्यूआइ 500 पीएम 2.5 तक दर्ज किया गया है। डीजल ऑटो भी हैं बड़ा कारण

वायु प्रदूषण ज्यादा रहने के कारण हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2016 वर्ष में डीजल आटो बंद करने की सिफारिश सरकार के पास भेजी थी। शहर में 20 हजार से ज्यादा डीजल आटो वायु प्रदूषण का बड़ा कारण हैं। एक डीजल आटो 40 टन वजन ले जाने वाले ट्रक के बराबर धुआं दे रहा है। वर्ष 2017 जून माह में प्रदेश सरकार ने घोषणा भी की थी कि गुरुग्राम व फरीदाबाद में डीजल आटो बंद किए जाएंगे और उनके स्थान पर सीएनजी आटो चलाए जाएंगे इस पर पूरी तरह से अमल नहीं किया गया। वायु प्रदूषण दमा मरीजों के लिए जहर है और यह व्यक्ति से फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर कर रहा है। यह आंख व हृदय के लिए नुकसानदायक तो है ही, व्यक्ति को मनोरोगी भी बना देता है। सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा होना जरूरी है। बंदी के दौरान स्वच्छ वातावरण था, क्योंकि यातायात बंद था। अब फिर प्रदूषण बढ़ रहा है।

डा. नवीन कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन स्वास्थ्य विभाग प्रदूषण कम रहे, इसके लिए हर रोज काम किया जा रहा है। लेकिन एक व्यक्ति या विभाग के करने से हवा स्वच्छ नहीं होगी। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। गुरुग्राम में किसान पराली ना जलाए, इसके लिए जागरूक किया जा रहा है।

कुलदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी गुरुग्राम, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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