आसमान छू रहे खाद्य तेलों के दाम, राहत की बाट जोह रहे लोग
पिछले कुछ माह से खाद्य तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे आम लोगों की जेबों पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं गृहणियों के लिए रसोई के बजट में संतुलन बैठाना अब आसान नहीं रहा है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : पिछले कुछ माह से खाद्य तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे आम लोगों की जेबों पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं, गृहणियों के लिए रसोई के बजट में संतुलन बैठाना अब आसान नहीं रहा है। आमजन का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण महंगाई का स्तर तेजी से बढ़ा है। कारोबारियों का कहना है कि अब फेस्टिवल सीजन आने वाला है, ऐसे में खाद्य तेलों के मूल्य में कमी लाने को लेकर सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इसका असर जल्द ही दिखेगा और लोगों को राहत मिलेगी।
सरकार ने सोया तेल, पाम आयल एवं सूरजमुखी के तेल पर सीमा शुल्क घटाया है। कच्चे पाम आयत पर आयात शुल्क को 10 से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया गया है। वहीं, कच्चे सोया तेल व कच्चे सूरजमुखी आयल पर पहले प्रभावी आयात शुल्क को 7.5 से कम कर 2.5 प्रतिशत किया गया है। खाद्यान व्यापारी मोहित अग्रवाल का कहना है कि पिछले लगभग पांच माह से खाद्य तेलों के भाव लगातार बढ़ते गए। महंगाई का असर यह रहा है कि कम आय वालों के लिए इन तक पहुंच मुश्किल हो गई। व्यापारी प्रमेश गुप्ता का कहना है कि सरसों का तेल रसोई में सबसे अधिक पंसद किया जाता है। उसकी भी कीमत अत्यधिक बढ़ गई है। जो सरसों का तेल पांच माह पूर्व 110 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, वह भी 200 रुपये के पार तक पहुंच गया था। इनका कहना है कि जिस प्रकार सरकार तेलों के भाव को लेकर गंभीर है, उसे देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही प्रति लीटर छह से सात रुपये की कमी आएगी।
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खाद्य तेल पहले भाव वर्तमान भाव
सरसों 110 200 रुपये प्रति लीटर
रिफाइंड 160 240 रुपये प्रति लीटर
कैनोला 200 280 रुपये प्रति लीटर
सरसों कच्ची घानी 150 193 प्रति लीटर
तिल 140 190 रुपये प्रति लीटर