ओम नम: शिवाय: ईंछापुरी मंदिर

ईंछापुरी का लगभग पांच सौ वर्ष पुराना शिव मंदिर जमीन से लगभग पंद्रह फुट नीचे बना हुआ है। यह मंदिर लोगों की प्रगाढ़ आस्था का केंद्र है। मंदिर में आने वाले भक्तों की इच्छा पूरी होने के कारण ही इस ग्राम का नाम अपभ्रंश होकर ईंछापुरी पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 04:05 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 04:05 PM (IST)
ओम नम: शिवाय: ईंछापुरी मंदिर
ओम नम: शिवाय: ईंछापुरी मंदिर

ईंछापुरी का लगभग पांच सौ वर्ष पुराना शिव मंदिर जमीन से लगभग पंद्रह फुट नीचे बना हुआ है। यह मंदिर लोगों की प्रगाढ़ आस्था का केंद्र है। मंदिर में आने वाले भक्तों की इच्छा पूरी होने के कारण ही इस ग्राम का नाम अपभ्रंश होकर ईंछापुरी पड़ा। इतिहास

एक दंत कथा के अनुसार अतीत में यहां खेत में एक हाली हल चला रहा था। तभी हल का फल जमीन में गडे़ एक पत्थर से जा टकराया। किसान ने उस पत्थर को निकालने के लिए जमीन को खोदना शुरू किया। जितना वह खोदता गया, पत्थर जमीन में उतना ही धंसता चला गया। घटना से अचंभित लोगों ने इस बारे में ग्राम जट शाहपुर के तत्कालीन विद्वान पंडित हुकम चंद वत्स से पूछा तो उन्होंने उसे स्वयं उद्भूत शिवलिग बताया और वहां मंदिर स्थापना की राय दी। कहा जाता है कि मंदिर स्थापना से पूर्व क्षेत्र में सूखा पड़ा हुआ था लेकिन मंदिर में पूजा शुरू होते ही वर्षा शुरू हो गई थी। इससे लोगों का विश्वास मंदिर के प्रति बढ़ा। उसके बाद भी कई ऐसे चमत्कार हुए कि लोगों का विश्वास बढ़ता ही चला गया। बाद में भूमि मालिकों ने हुकम चंद वत्स के परिवार को उक्त भूमि दोहली में दान दे दी। तभी से पं. हुकम चंद के वंशज ही मंदिर के पुजारी चले आ रहे हैं। मंदिर की विशेषता

अतीत में यहां एक छोटा मंदिर था। श्रद्धालुओं की संख्या के अनुपात में मंदिर छोटा पड़ने लगा तो वर्ष 1993 में सेठ नागरमल बंसल ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। मंदिर परिसर में कांवड़ियों तथा अन्य श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए कई हाल, यात्री कक्ष, सरोवर व हवन कुंड बने हुए हैं। मंदिर के साथ हनुमान मंदिर व कई अन्य मंदिर भी बने हुए हैं। --------

शिवरात्रि पर यूं तो यहां अगाध श्रद्धा के चलते विभिन्न प्रदेशों से हजारों श्रद्धालु आते हैं लेकिन कोरोना के दौर में प्रबंधन कमेटी प्रयास करेगी कि शारीरिक दूरी रखी जाए व लोग बिना मास्क लगाए अंदर न आएं। मंदिर को समय समय पर सैनिटाइज भी करवाया जाएगा व लोगों के हाथ सैनिटाइज करवाने की मशीन भी द्वार के पास रखी जाएगी।

- विजेंद्र सिंह, सरपंच ईंछापुरी यह एक सिद्ध मंदिर है व यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सच्चे मन से मांगी सभी मुरादें पूर्ण होती हैं। वर्ष में दो बार शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाले मेलों में हजारों श्रद्धालु व कांवड़िये जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं।

- सत नारायण मिर्जापुर, समाजसेवी

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