सेक्टर-82-83 में व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर 18 मकान मालिकों को नोटिस जारी

नगर योजनाकार विभाग के डीटीपी एन्फोर्समेंट की तरफ से सेक्टर-82-83 विभाजित सड़क के साथ सटे रिहायशी मकानों में चल रही अवैध व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर 18 मकान मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 07:38 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 07:38 PM (IST)
सेक्टर-82-83 में व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर 18 मकान मालिकों को नोटिस जारी
सेक्टर-82-83 में व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर 18 मकान मालिकों को नोटिस जारी

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम: नगर योजनाकार विभाग के डीटीपी एन्फोर्समेंट की तरफ से सेक्टर-82-83 विभाजित सड़क के साथ सटे रिहायशी मकानों में चल रही अवैध व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर 18 मकान मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर जवाब दायर करने के निर्देश दिए है।

बता दें कि यहां पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इन गतिविधियों को लेकर विभाग से किसी प्रकार की स्वीकृति भी नहीं ली गई। जबकि विभाग की नोन न्यूसेंस गतिविधि की नियमावली भी है जिसमें मकान के भू-तल पर 25 प्रतिशत एरिया में सूचीबद्ध गतिविधियां चलाई जा सकती है। लेकिन यहां पर भी प्रोपर्टी डीलर से लेकर विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जा रही है। इससे न केवल विभाग के राजस्व को चूना लग रहा है बल्कि आस-पास के निवासियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

डीटीपीई आरएस बाठ का कहना है कि सर्वे करने के बाद सभी गतिविधि संचालकों को नोटिस जारी कर दिया गया है, सात दिन के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो रेस्टोरेशन के आदेश के बाद सीलिग की कार्रवाई होगी। जो गतिविधियां नियमावाली के अधीन आती है वह विभाग से स्वीकृति लें ले और जो नहीं आती वह अपनी गतिविधियां बंद कर दें अन्यथा कार्रवाई के दौरान कोई मौका नहीं दिया जाएगा। 16 अवैध निर्माणों को किया गया सील

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: नगर निगम की जोन-1 एन्फोर्समेंट टीम ने बुधवार को अवैध निर्माणों को सील करने के लिए अभियान चलाया। गांधी नगर, कृष्णा कालोनी, सरस्वती एंक्लेव और न्यू कालोनी में 16 निर्माणाधीन इमारतों को सील करने की कार्रवाई की गई। इन इमारतों का नगर निगम से बिल्डिग प्लान मंजूर नहीं करवाया गया था। इसके अलावा जोन-1 में ही अवैध रूप से लगे हुए विज्ञापनों को भी हटाया गया। टीमों ने निगम की अनुमति के बिना लगे हुए विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की। बता दें कि विज्ञापन लगाने के लिए नगर निगम से अनुमति लेना जरूरी है और इसके लिए फीस भी निर्धारित है।

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