तंत्र के गण: बेसहारा पशुओं के पालनहार बने मोनू

कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में हुए लाकडाउन के कारण सबसे अधिक परेशानी बेसहारा पशुओं को हुई। इन पशुओं को खाने पीने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 03:25 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 04:23 PM (IST)
तंत्र के गण: बेसहारा पशुओं के पालनहार बने  मोनू
तंत्र के गण: बेसहारा पशुओं के पालनहार बने मोनू

गोविन्द फलस्वाल, मानेसर (गुरुग्राम)

कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में हुए लाकडाउन के कारण सबसे अधिक परेशानी बेसहारा पशुओं को हुई। इन पशुओं को खाने पीने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था। ग्रामीण क्षेत्र में तो खेतों में खाने को मिल जाता था लेकिन शहरी इलाकों में लोग घरों से ही नहीं निकल रहे थे। इस कारण बेसहारा पशुओं को खाने के लिए काफी भटकना पड़ रहा था। ऐसे में गांव मानेसर निवासी मोनू मानेसर ने पहल की और बेसहारा पशुओं के लिए मसीहा बने।

मोनू ने कच्ची सब्जियां खरीदकर बेसहारा पशुओं के लिए खाने की व्यवस्था की और गर्मी के मौसम में पीने के पानी को रखने के लिए टायर से बनें टैंकों की व्यवस्था की। गुरुग्राम जिले में काफी संख्या में बेसहारा पशु घूमते रहते थे। सामान्य दिनों में तो लोग कई जगह इनके लिए चारा और रोटी डाल देते थे लेकिन लाकडाउन के दौरान इनके सामने भूखा रहने की नौबत आ गई थी। ऐसे में मोनू मानेसर और उनकी टीम बजरंग दल मानेसर के सदस्यों ने इनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने का जिम्मा उठाया।

टीम के सदस्यों द्वारा रोजाना बेसहारा पशुओं के किए खाने और पानी का प्रबंध किया जाता था। इनकी टीम ने कई जगह अपने मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किए। कहीं से भी सूचना मिलते ही टीम के सदस्यों के साथ मोनू मानेसर चारा, रोटी, दलिया, भूसा और सब्जियां लेकर पहुंच जाते थे। मोनू मानेसर ने बताया कि लाकडाउन के समय में बेसहारा पशुओं और बेसहारा कुत्तों के सामने बड़ी समस्या आ गई थी।

लाकडाउन के बाद से लोगों का घरों से निकलना बंद हो गया था। ऐसे में इन पशुओं को खाना नहीं मिल रहा था। हमारी टीम के सदस्यों ने इनका जिम्मा उठाया और अपने खर्च पर इन पशुओं की सेवा करने के लिए जुट गए। उन्होंने बताया कि सभी सदस्यों की तरफ से हरी सब्जियां, चारा, सूखा भूसा, लौकी, खीरा, सीताफल को काटकर पशुओं के सामने डाला जाता था। कई जगह स्थान निर्धारित हो गए थे जहां हमारे जाने से पहले ही बेसहारा पशु पहुंच जाते थे। घायल पशुओं के लिए भी कार्य किया जा रहा था। घायल पशुओं को दादरी तोए स्थित गौशाला से एंबुलेंस मंगवा कर इलाज के लिए भेजा गया।

हमने अपनी टीम के साथ मिलकर बेसहारा पशुओं के लिए खाने और पीने के पानी की व्यवस्था की। इस दौरान टीम के सदस्यों और सामाजिक लोगों ने भी सहयोग किया।

मोनू मानेसर

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