रात का रिपोर्टर: सड़कों पर सिर्फ बैरिकेड्स से ये कैसी नाकेबंदी है

देश की राजधानी दिल्ली से जुड़े गुरुग्राम में पुलिस सतर्कता जरूरी है। मंगलवार को अलर्ट जारी करने के बाद भी मंगलवार शहर के अधिकतर पुलिस नाकों पर पुलिस कर्मी नजर नहीं आए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 05:25 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 05:27 PM (IST)
रात का रिपोर्टर:  सड़कों पर सिर्फ बैरिकेड्स से ये कैसी नाकेबंदी है
रात का रिपोर्टर: सड़कों पर सिर्फ बैरिकेड्स से ये कैसी नाकेबंदी है

सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम

देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में हमेशा पुलिस सतर्कता जरूरी है। खासकर जब उच्चाधिकारी ही अलर्ट जारी करें कि उत्तर प्रदेश का हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे फरीदाबाद में देखा गया है और गुरुग्राम आ सकता है, तब तो नाकेबंदी और सख्त होनी चाहिए। मगर मंगलवार रात को पुलिस आयुक्त केके राव के अलर्ट जारी करने के बाद भी शहर के अधिकांश पुलिस नाकों पर पुलिस के जवान नजर नहीं आए। जागरण टीम ने रात बारह बजे से दो बजे तक शहर में भ्रमण किया, मगर कुछ ही जगहों पर पुलिस कर्मी दिखाई दिए।

पुराने शहर के मदनपुरी रोड पर कंटेनमेंट जोन नाके पर चार पुलिसकर्मी बैठे नजर आए। इसी तरह शिवमूर्ति के पास चार पुलिसकर्मी प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठे मिले। पास ही पीसीआर खड़ी थी। शहर के सबसे व्यस्त चौक राजीव चौक पर पुलिस नाका ही नहीं था, जबकि यहां पर आठ पुलिसकर्मियों की तैनाती हुआ करती थी। ऐसा ही नजारा इफको चौक पर देखने को मिला। यहां पुलिस राइडर भी नहीं था। सुखराली रोड पर एक होटल के पास जरूर पांच राइडर पुलिसकर्मी एक साथ नजर आए।

एमजी रोड पुलिस चौकी पर बाहर कोई पुलिस कर्मी नहीं दिखा। अंदर जरूर लाइट जल रही थी मगर आवाज लगाने पर भी कोई बाहर नहीं आया। ब्रिस्टल चौक पर पुलिस नाका लगाने के लिए बैरिकेड्स सड़क के इधर-उधर पड़े थे, पर खाकी वाले नहीं दिखे। गोल्फ कोर्स रोड पर ग्वाल पहाड़ी तक तीन पुलिस नाके पड़ते हैं, यहां एक भी नाके पर पुलिस कर्मी नहीं दिखे। एक नाके पर कुर्सी जरूर रखी हुई थी। दिन में पुलिसकर्मी इन्हीं में बैठे नजर आते हैं। बीच में एक पीसीआर जरूरी आती दिखाई दी।

वहां से लौटते वक्त दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित सेक्टर 31 फ्लाईओवर के पास सेक्टर चालीस थाने की पीसीआर खड़ी मिली। वापसी में राजीव चौक के पास भी एक पीसीआर खड़ी मिली। पुलिसकर्मी बैठे हुए झपकी ले रहे थे। पहले यहां रात में वाहनों को रोक कर जांच की जाती थी, मगर आज ऐसा कुछ नहीं था। घड़ी पर निगाह डाली तो रात के दो बज चुके थे। वापस लौटते समय पूरे रास्ते यही बात जहन में आती रही कि इन हालात में तो कोई भी अपराधी शहर से बाहर-अंदर आ-जा सकता है। चौकसी का अलर्ट जारी करने का फायदा क्या?

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