नमो देव्यै, महा देव्यै: कोरोना से जंग में अपने परिवार को भूल गईं नीरू

पिछले साल कोरोना महामारी के प्रारंभिक दिनों में पटौदी कोरोना का हाट स्पाट बन गया था। मरीज जांच के लिए सामने नहीं आने के बजाय छिपते-फिरते थे। सामने आने पर जांच होती तो परिवार के परिवार संक्रमित पाए जाते थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:05 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 07:34 PM (IST)
नमो देव्यै, महा देव्यै:  कोरोना से जंग में अपने परिवार को भूल गईं नीरू
नमो देव्यै, महा देव्यै: कोरोना से जंग में अपने परिवार को भूल गईं नीरू

डा. ओमप्रकाश अदलखा, पटौदी

पिछले साल कोरोना महामारी के प्रारंभिक दिनों में पटौदी कोरोना का हाट स्पाट बन गया था। मरीज जांच के लिए सामने नहीं आने के बजाय छिपते-फिरते थे। सामने आने पर जांच होती तो परिवार के परिवार संक्रमित पाए जाते थे। इन हालात में पटौदी की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) डा. नीरू यादव ने दिन-रात काम कर स्थिति को कंट्रोल किया। लोगों की तत्परता से जांच कराने के साथ-साथ अपनी टीम के साथ मिल उन्हें तुरंत जांच कराने के लिए प्रेरित किया।

डा. नीरू यादव अस्पताल में सुविधाएं भी बढ़वाई। आठ घंटे के बजाय सोलह से सत्रह घंटे काम किया। कई दिनों तक परिवार से दूर अस्पताल परिसर में ही निवास बना रखा था। उनके प्रयास से ही पटौदी क्षेत्र में जांच की दर बढ़ी और जल्दी से स्थिति नियंत्रण में आई। यही नहीं अपनी कार्यशैली से डा. नीरू ने लोगों के दिलों में भी अमिट छाप छोड़ी लोग यह कहने लगे कि यूं ही नहीं डाक्टर को दूसरा भगवान कहा जाता है।

पटौदी के अस्पताल में अब तक अनेक एसएमओ आए हैं। परन्तु अधीनस्थ स्टाफ के लिए जितने प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान डा. नीरू यादव के कार्यकाल में चले हैं उनके किसी अन्य के कार्यकाल में नहीं चले। कोरोना नियंत्रण करने के लिए पटौदी के मोहल्ले-मोहल्ले जाकर सैंपल लेने का कार्यक्रम चलाया व टेस्टिग के टारगेट से कहीं अधिक टेस्टिग की ताकि समय पर कोरोना मामलों का पता लग सके व उन्हें आइसोलेट किया जा सके। एक दिन भी अवकाश भी नहीं लिया। करवा चौथ के दिन भी शाम तक अपनी जिम्मेदारी निभाती देखी गईं। अस्पताल में गर्भवती महिला को दाखिल करने की व्यवस्था नहीं थी। क्षेत्रीय विधायक सत्यप्रकाश जरावता व सिविल सर्जन से सिफारिश कर सिजेरियन डिलीवरी करने की व्यवस्था कराई। ओपीडी की संख्या बढ़वाने के साथ-साथ डाक्टरों की नियुक्ति कराई। डा. नीरू कहती हैं हमने अपनी जिम्मेदारी को धर्म मानकर निभाया। किसी को बेहतर इलाज मिले और वह ठीक होकर जो दुआ देता है उसे भगवान का आशीर्वाद मानती हैं।

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