आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाने की जरूरत
विकास की इस दौड़ में पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में भी इसे लेकर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
विकास की इस दौड़ में पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में भी इसे लेकर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। स्कूल से लेकर उच्चस्तर के शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में एआइ को शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा होगा तो ही इस क्षेत्र में दक्ष वर्कफोर्स को बढ़ाया जा सकता है। इनका कहना है कि प्रौद्योगिकी के संसार में नित नए-नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। वर्ष 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में एआइ का योगदान पांच खरब रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
साइबर सिटी देश का बड़ा आइटी हब है। यहां स्थित कंपनियों की ओर से एआइ पर काफी काम हो रहा है। इस क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि आने वाले दो साल में एआइ क्षेत्र के विशेषज्ञों की कंपनियों को बहुत जरूरत होगी। रोबोटिक्स, वर्चुअल रियल्टी, क्लाउड प्रौद्योगिकी, बिग डेटा के साथ-साथ एआइ और मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकी का देश की प्रगति में बड़ा योगदान होगा। यही कारण है कि इस क्षेत्र में नवाचार को और बढ़ावा देने की बात हो रही है।
सरकार की ओर से भी इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रौद्योगिकी के जरिये शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सुरक्षा, उद्योग, कारोबार, आटोमोबाइल, मैन्यूफैक्चरिग, रियल टाइम डाटा व व्यक्तिगत जीवन में इससे भारी सकारात्मक बदलाव आएगा। आइटी विशेषज्ञ रजत श्रीवास्तव का कहना है कि एआइ को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग द्वारा एक समिति का भी गठन किया गया है।
हाइटेक इंडिया, हरियाणा के अध्यक्ष प्रदीप यादव का कहना है कि पांचवें जनरेशन की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए बजट को और बढ़ाने की जरूरत है। इनका कहना है अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिससे इस क्षेत्र में तेजी से देश की प्रगति हो सके। रोजगार की संभावनाओं से भरपूर है एआइ, इसकी जरूरत बढ़ी
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