शौर्यगाथा: छह पाक घुसपैठियों को मार कर देश पर बलिदान हो गए थे हवलदार सुरेश चंद

गांव रिठौज में देशभक्त परिवार में जन्मे सुरेश चंद खटाना देश की सरहद पर पाकिस्तानी सेना के छह घुसपैठियों को मार गिराने के बाद देश के लिए बलिदान हो गए। उस वक्त उनके दो साथी ने भी बलिदान दिया था।

By Edited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:26 PM (IST)
शौर्यगाथा: छह पाक घुसपैठियों को मार कर देश पर बलिदान हो गए थे हवलदार सुरेश चंद
छह पाक घुसपैठियों को मार कर देश पर बलिदान हो गए थे हवलदार सुरेश चंद

सतीश राघव, सोहना (गुरुग्राम) देश की रक्षा के लिए मां भारती के अनेक सपूतों ने बलिदान दिया है। ऐसे वीर बलिदानियों की वीरता की शौर्य गाथा सुनकर गर्व से सीना फूल जाता है। गांव रिठौज में देशभक्त परिवार में जन्मे सुरेश चंद खटाना देश की सरहद पर पाकिस्तानी सेना के छह घुसपैठियों को मार गिराने के बाद देश के लिए बलिदान हो गए। उस वक्त उनके दो साथी ने भी बलिदान दिया था। (9-पैरा कमांडो एसएफ) चार अक्टूबर 1985 को आपरेशन मेघदूत (जम्मू कश्मीर) में पाकिस्तानी सेना के साथ युद्ध में वीरता का अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों का बलिदान किया। बलिदानी सुरेश चंद ने अपने पैतृक गांव रिठौज में कक्षा दस की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने देशभक्त पिता की भावना से ओतप्रोत होकर नौ पेरा मिलिटरी फोर्स में भर्ती हो गए। नौ पेरा स्पेशल फोर्स में तीन साल तक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सुरक्षा में तैनात रहे। उसके बाद उनकी पोस्टिंग उधमपुर जम्मू में हो गई थी। पाकिस्तानी घुसपैठियों के आतंक को मिटाने के लिए आपरेशन मेघदूत मिशन के तहत सियाचिन में भेज दिया गया। 15 साथियों की टीम के साथ सुरेश चंद खटाना ने अपने वीरता के बूते छह पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया। पिता के बलिदान का बदला लेने के लिए सेना में जाने का लिया निर्णय: सुरेश चंद खटाना के बलिदानी होने के समय उनके बड़े पुत्र हरीश खटाना की उम्र पांच साल की थी। अपनी शिक्षा पूरी करते ही हरीश खटाना ने अपने पिता के बलिदान का बदला लेने के लिए सेना में जाने का निर्णय लिया। छह पेरा मिलिटरी फोर्स में भर्ती हो गए और 15 साल तक सेना में रहकर देश की सरहद की सुरक्षा की। सुरेश चंद के दो भाई महेश चंद खटाना ने देश की सरहद (द्रास क्षेत्र में) पर कारगिल युद्ध के दौरान वीरता दिखाई थी। उनके दूसरे भाई दयाचंद राजपूत बटालियन में तैनात थे जिन्होंने कारगिल युद्ध में उपवाडा क्षेत्र में पाकिस्तानी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। इतना ही नहीं बलिदानी सुरेश चंद के पिता भी देशभक्त थे। कप्तान बिशन ¨सह खटाना ने 1962-1971 में पाकिस्तान व चीन के साथ हुए युद्ध के दौरान अपने साहस के बूते दुश्मनों को भागने पर मजबूर कर दिया था।

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