कोरोना के खिलाफ जंग : हिम्मत के आगे बौनी हो गई हर मुसीबत, बन गया मददगारों का कारवां

फिल्म पटकथा लेखिका और उपन्यासकार अद्वैता काला का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद आज भी कम्युनिटी किचन के जरिये रोजाना 700-1500 लोगों को खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है।

By JP YadavEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 01:57 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 08:18 AM (IST)
कोरोना के खिलाफ जंग : हिम्मत के आगे बौनी हो गई हर मुसीबत, बन गया मददगारों का कारवां
कोरोना के खिलाफ जंग : हिम्मत के आगे बौनी हो गई हर मुसीबत, बन गया मददगारों का कारवां

गुरुग्राम [आदित्य राज]। पिछले 4 महीने से भी अधिक समय से कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ देशभर में हर स्तर पर जंग जारी है। मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में लगे लॉकडाउन के चलते गरीब, असहाय और लाचार लोगों के सामने 2 जून की रोटी का संकट अब भी बना हुआ है। कोरोना वायरस संकट के दौरान तमाम समाजसेवी और अन्य संगठन गरीब और असहाय लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं गुरुग्राम की रहने वालीं फिल्म पटकथा लेखिका और उपन्यासकार अद्वैता काला। विद्या बालन अभिनीत बॉलीवुड फिल्म 'कहानी' फेम अद्वैता काला लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही आस पास के इलाकों में सैकड़ों-हजारों की संख्या में निसहाय, बेसहारा और भीख मांग कर गुजर बसर करने वालों में भोजन का वितरण करवा रही हैं, ताकि किसी को भी भूख का सामना नहीं करना पड़े।

कम्युनिटी किचन बना लोगों का सहारा

लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही गरीब और असहाय लोगों के सामने 2 जून की रोटी की संकट खड़ा होने वाला है यह गुरुग्राम सेक्टर-56 में रहने वालीं लेखिका-उपन्यासकार अद्वैता काला ने भांप लिया था। इसी के मद्देनजर उन्होंने अपने 6 करीबियों (अंबिका, अर्जुन पांडेय, रचना, रसिका, संदीप, प्रभात अग्रवाल) के साथ मिलकर नाथूपुर इलाके में कम्युनिटी किचन की शुरुआती की। लॉकडाउन की शुरुआत से ही इस किचन की मदद से लोगों को भोजन मुहैया कराया जाने लगा, यह सिलसिला अब भी जारी है।

अद्वैता काला की मानें तो अप्रैल के पहले हफ्ते से ही जरूरतमंद लोगों की संख्या में इजाफा होने लगा और 1500-2000 लोगों को रोजाना खाना दिया जाने लगा। यह संख्या रोजाना घटती-बढ़ती रही, लेकिन हम लोगों ने ठान लिया था कि किसी को भी भूखा सोने नहीं देंगे और यह वजह है कि हिम्मत के आगे हर मुसीबत बौनी होती गई।

जारी रहेगी लोगों को मदद

फिल्म पटकथा लेखिका और उपन्यासकार अद्वैता काला का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद आज भी कम्युनिटी किचन के जरिये रोजाना 700-1500 लोगों को खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है। जब तक कोरोना वायरस संक्रमण की समस्या बनी रहेगी और लोगों के पास रोजगार और खाने-पीने का साधन नहीं मुहैया होता, हम कम्युनिटी किचन चलाते रहेंगे।

7 लोगों का एक समूह बना सैकड़ों लोगों का मसीहा

उपन्यासकार अद्वैता काला ने लॉकडाउन के साथ ही 7 लोगों का एक समूह बना दिया था। इसमें वह भी बतौर सदस्य सक्रिय रूप से शामिल थीं। सातों ने मिलकर नाथुपुर इलाके में कम्युनिटी किचन तैयार किया, जिसके बाद यही लोग खाना वितरण का काम भी करते। यह सिलसिला 4 महीने बाद भी जारी है। इस बाबत फिल्म पटकथा लेखिका अद्वैता काला का कहना है कि जब तक यह समस्या बनी हुई है, कम्युनिटी किचन बंद नहीं होगा, क्योंकि इससे सैकड़ों लोगों की जिंदगी जुड़ी हुई है।

कारोबारी सहयोगी की मदद से 500 बच्चों को मिले कपड़े

अद्वैता काला की मानें तो नाथूपुर इलाके में कुछ बच्चे ऐसे भी थे, जिनके पास ढंग के कपड़े नहीं थे। ऐसे में अपने एक कारोबारी मित्र की मदद से तकरीबन 500 बच्चों को कपड़े मुहैया कराए गए हैं। वह कहती हैं- 'इन नेक काम में हमने लोगों से मदद मांगी नहीं, बल्कि लोग खुद-ब-खुद हमसे जुड़ते गए और एक मददगारों का कारवां बन गया।'

लोगों ने की जमकर मदद

लेखिका अद्वैता काला ने बताया कि हम लोगों ने जब कम्युनिटी किचन की शुरुआत की तो गरीब और असहाय लोगों की संख्या बढ़ने लगी, इसी के साथ संपन्न लोगों ने हमारी मदद भी की। एक महिला ने मुफ्त में मास्क मुहैया कराए तो सुमित सिंह नाम के शख्स ने साबुन बांटे। इस दौरान जरूरत पड़ने पर 2-2 किचन तक हमने शहर में चलाए।  

गौरतलब है कि अद्वैता काला सामाजिक, राजनीतिक समेत अन्य मुद्दों पर अपनी बातों को मुखर ढंग से रखने के लिए भी जानी जाती हैं। विद्या बालन अभिनीत कहानी और रणवीर कपूर-प्रियंका चोपड़ा अभिनीत अंजाना-अजानी फिल्म की लेखिका भी हैं और उन्होंने उपन्यास भी लिखे हैं। मूलरूप से उत्तराखंड की रहने वालीं अद्वैता एक बेस्ट सेलिंग अंतरराष्ट्रीय उपन्यासकार हैं। 'ऑल मोस्ट सिंगल' उपन्यास के अकेले भारत में ही तकरीबन 2 लाख प्रतियां बिकी हैं। उनका यह उपन्यास फ्रैंच, मराठी और हिंदी समेत कई भाषाओं में अनूदित किया गया है। यहां भी लोगों ने निराश नहीं किया और पढ़ने वाले रसिया ने जमकर खरीदारी की और पढ़ा।

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